November 22, 2024

मोदी की वजह से देश सोना गिरवी रखने से भी बड़े आर्थिक संकट में : कांग्रेस


रायपुर. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिश्ठ प्रवक्ता, पूर्व विधायक एवं आर्थिक मामलों के जानकार रमेश वर्ल्यानी ने आज यहॉं कहा कि एक देश एक टैक्स के नारे के साथ मोदी सरकार द्वारा लाए गए जी.एस.टी ने एक ओर जहॉं राज्यों की अर्थव्यवस्था को संकटग्रस्त अवस्था में डाल दिया है, वहीं दूसरी ओर व्यापार-उद्योगों को अनेक विवरण पत्रों के कंपलायंस के बोझ से लाद दिया है। जी.एस.टी लागू होने पर केंद्र सरकार ने राजस्व बढ़ोत्तरी के जो सपने दिखाये थे, वे धरातल पर इन चार सालों में नहीं उतर पाए। अब हालत यह है कि जी.एस.टी केंद्र सरकार के गले की हड्डी बन गया है। राज्यों को जी.एस.टी की क्षतिपूर्ति कभी भी समय पर नहीं की जाती जिसका सीधा असर राज्यों के विकास कार्यों पर पड़ता है। प्रवक्ता वर्ल्यानी ने कहा कि कोरोना काल की महामारी के चलते देश के सभी राज्यों के बजट का बड़ा हिस्सा आम आदमी के जीवन की रक्षा के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तथा जीविकोपार्जन की व्यवस्था में खर्च हुआ है। उस पर केंद्र सरकार ने 18 प्लस वेक्सीन से अपना पल्ला झाड़कर, वेक्सीन का बोझ भी राज्यों पर डाल दिया है। कोरोना काल के लॉक-डउन से व्यापार-उद्योग की गतिविधियॉं प्रभावित हुई हैं जिससे जी.एस.टी राजस्व भी प्रभावित हुआ है। लेकिन मौजूदा आर्थिक संकट पर केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के पास कोई रोड-मेप नहीं है। एक लंबे अर्से के बाद जी.एस.टी कौंसिल की बैठक कल होने जा रही है। जबकि कोरोना की दूसरी लहर में जब देष के लोग महंगे दाम पर ऑक्सिजन, मेडिकल इंस्ट्रूमेंट और दवाइयॉं लेने मजबूर थे, उनको तत्काल राहत पहुॅंचाने के लिए जी.एस.टी कौंसिल की बैठक बुलाकर इन वस्तुओं को टैक्स फ्री करने का निर्णय लिया जाना था। लेकिन “रोम जल रहा था और नीरो बॉंसूरी बजा रहा था” की तर्ज पर मोदी सरकार षुतुरमुर्ग की अवस्था में पड़ी हुई थी। प्रवक्ता वर्ल्यानी ने कहा कि जी.एस.टी कौंसिल को विभिन्न राज्यों विशेष रूप से उत्पादक राज्यों की गिरती अर्थव्यवस्था को देखते हुए जी.एस.टी के ढॉंचे में व्यापक सुधार करने के लिए कदम उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में कोल का उत्पादन किया जाता है, इस पर प्रति टन रू. 400/- सेस लगाया जाता है। यह संपूर्ण राशि केंद्र को प्राप्त होती है। इस राशि में से 50 प्रतिशत राशि राज्य को दिया जाना चाहिए। प्रति वर्श रू. 6000 करोड़ की सेस राशि का संग्रहण छत्तीसगढ़ राज्य से होता है। 50 प्रतिशत अर्थात रू. 3000 करोड़ राशि राज्य को प्राप्त होगी। जी.एस.टी की वर्तमान व्यवस्था अनुसार कर की राषि का 50 प्रतिशत राज्य को तथा 50 प्रतिशत राशि केंद्र को प्राप्त होती है। जी.एस.टी लागू होने के पूर्व अनेक ऐसी वस्तुएॅं थी, जिन पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली नहीं की जाती थी, किंतु वर्तमान व्यवस्था में इन वस्तुओं पर भी केंद्र को कर की राशि प्राप्त हो रही है, जिससे राज्यों को नुकसान हो रहा है। अतः वर्तमान कर की राशि 50-50 प्रतिशत के स्थान पर 2 तिहाई राशि राज्य को तथा 1 तिहाई राशि केंद्र को दिये जाने का फार्मूला तय किया जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा सी.जी.एस.टी तथा एस.जी.एस.टी के रूप में रू. 10100 करोड़ वसूल की गई है। यदि यह फार्मूला अपनाया जाता है तो राज्य को रू. 1250 करोड़ अधिक मिलेगा। उन्होंने बताया कि वैट व्यवस्था में केंद्रीय विक्रय पर सी फार्म समर्थित होने से 2 प्रतिशत कर लगाने का अधिकार राज्यों को था, किंतु जी.एस.टी प्रणाली के अंतर्गत होने वाले अंतर्राज्यीय विक्रय पर समस्त कर की राशि अन्य राज्यों को हस्तांतरित हो जाती है। चूंकि छत्तीसगढ़ राज्य एक उत्पादक राज्य है जिसमें मुख्यतः आयरन स्टील, आयरन ओर, कोल, सीमेंट इत्यादि शामिल हैं। अतः जी.एस.टी प्रणाली के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य को राजस्व का नुकसान अधिक है। अतः आई.जी.एस.टी के रूप में वसूल की जाने वाली राशि में से 2 प्रतिशत छत्तीसगढ़ राज्य को दिया जाना चाहिए जो कि लगभग रू. 200 करोड़ होता है। इसी प्रकार कैपिटल गुड्स जैसे फर्नीचर, एसी, मोटर कार तथा अन्य वस्तुओं पर दिये जाने वाले आई.टी.सी को समाप्त किया जाना चाहिए। इससे छत्तीसगढ़ राज्य को लगभग रू. 100 करोड़ अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि उक्त परिवर्तन से ही छत्तीसगढ़ राज्य को 4550 करोड़ रू. का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। प्रवक्ता वर्ल्यानी ने केंद्र द्वारा राज्यों को जी.एस.टी के भुगतान में विलंब पर तंज कसते हुए कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि डिजीटल युग में मोदी सरकार इन चार सालों में जी.एस.टी भुगतान का समयबद्ध सिस्टम नहीं बना पाई है। छत्तीसगढ़ को केंद्र से जी.एस.टी का 18000 करोड़ रू. अभी मिलना बाकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post भाजपा मोदी सरकार के गलत फैसलों से महंगाई डायन खाये जात है : घनश्याम तिवारी
Next post महंगाई की मार है, मोदी सरकार है, क्या यही है अच्छे दिन : काँग्रेस
error: Content is protected !!