भारतीय शिक्षा बोर्ड द्वारा “आधुनिक शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश” विषय पर भव्य संगोष्ठी एवं शिक्षाविद सम्मान समारोह का आयोजन

 

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री होंगे मुख्य अतिथि,देशभर से शिक्षाविदों की गरिमामयी उपस्थिति,शिक्षा के नव युग का शुभारंभ

 

बिलासपुर : भारतीय शिक्षा व्यवस्था में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। आधुनिक शिक्षा को भारतीय सांस्कृतिक,वैदिक,और दार्शनिक मूल्यों से समृद्ध करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय शिक्षा बोर्ड(राष्ट्रीय स्कूल शिक्षा बोर्ड) द्वारा एक विशेष संगोष्ठी एवं शिक्षाविद सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है। यह भव्य आयोजन 18 अप्रैल 2025, शुक्रवार को बिलासपुर के लखीराम अग्रवाल स्मृति सभागार में प्रातः 10:30 बजे से लेकर दोपहर 1:30 बजे तक संपन्न होगा। इस आयोजन का मुख्य विषय है “आधुनिक शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश,जो केवल एक विषय नहीं,बल्कि भारत के शिक्षा क्षेत्र में वैचारिक क्रांति की पहल है। यह संगोष्ठी उन सभी विचारों और दृष्टिकोणों का समागम होगी,जो शिक्षा को केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं,बल्कि जीवन मूल्यों,संस्कृति,आध्यात्मिक चेतना और व्यवहारिक अनुभवों से जोड़ती है।

मुख्य अतिथि और गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति

इस गरिमामयी आयोजन में छत्तीसगढ़ शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
भारतीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ.एन.पी.सिंह(पूर्व IAS अधिकारी)अपने अनुभव और दूरदृष्टि के साथ इस विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य एन.डी.एन.बाजपेयी(कुलपति,अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय)करेंगे,जो स्वयं भारतीय संस्कृति,भाषा और परंपरा के प्रबल प्रवक्ता हैं। अन्य विशेष अतिथियों में अवनीश शरण(जिला कलेक्टर,बिलासपुर),डॉ.अनिल तिवारी(जिला शिक्षा अधिकारी,बिलासपुर)शिक्षा और संस्कृति से जुड़े अन्य प्रबुद्धजन और शिक्षाविद शामिल रहेंगे। इन सभी महानुभावों की उपस्थिति से यह आयोजन एक ऐतिहासिक विमर्श का केंद्र बनेगा।

संगोष्ठी का उद्देश्य : शिक्षा में जड़ें और पंख दोनों देना

भारतीय शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित यह संगोष्ठी न केवल एक शैक्षणिक आयोजन है, बल्कि यह देश के भविष्य को एक ऐसी दिशा देने का प्रयास है जिसमें शिक्षा केवल ज्ञान का संचय न होकर संस्कार,संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना का संवाहक भी हो। इस पहल का उद्देश्य है कि आधुनिक विज्ञान,गणित,तकनीकी शिक्षा को भारतीय चिंतन,दर्शन,जीवन मूल्यों और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ते हुए एक संतुलित और पूर्ण शिक्षा प्रणाली का निर्माण किया जाए वेद,उपनिषद,भगवद्गीता,महाभारत,रामायण,बौद्ध और जैन दर्शन,गुरुग्रंथ साहिब,भारतीय गणित,आयुर्वेद और योग विज्ञान जैसे अमूल्य ज्ञान स्रोतों को शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर विद्यार्थियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

शिक्षाविदों का सम्मान : समर्पित सेवाओं का अभिनंदन

इस अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वरिष्ठ शिक्षकों,प्राध्यापकों,शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को सम्मानित भी किया जाएगा। यह सम्मान न केवल उनके कार्यों की सराहना है,बल्कि युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा।

शैक्षणिक सत्र 2025-26 से नई शुरुआत : 80 स्कूलों को मिली मान्यता

भारतीय शिक्षा बोर्ड के द्वारा संचालित शिक्षा पद्धति की शुरुआत शैक्षणिक सत्र 2025-26 से की जा रही है। वर्तमान में प्रदेश के 80 विद्यालयों को बोर्ड से संबद्धता प्राप्त हो चुकी है, और कई अन्य विद्यालयों की संबद्धता प्रक्रिया प्रगति पर है। इस नवाचार का उद्देश्य एक राष्ट्रीय स्तर की भारतीय शिक्षा प्रणाली तैयार करना है,जो न केवल ज्ञान प्रदान करे,बल्कि विद्यार्थी के चरित्र निर्माण,वैचारिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक चेतना को भी पोषित करे।

जन सहभागिता का आह्वान

भारतीय शिक्षा बोर्ड छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी डॉ.सचिन यादव एवं संजय अग्रवाल ने इस आयोजन की जानकारी एक विशेष प्रेस वार्ता के माध्यम से साझा की। उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी सभी शिक्षकों,छात्रों,अभिभावकों और शिक्षा प्रेमियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण अवसर है,जिससे शिक्षा के नए युग की शुरुआत की जा रही है। कार्यक्रम में सहभागिता हेतु संपर्क किया जा सकता है : डॉ.सचिन यादव – मोबाइल : 8103718666

निष्कर्ष: शिक्षा में भारतीयता का पुनर्जागरण

यह आयोजन केवल एक संगोष्ठी नहीं,बल्कि एक शैक्षणिक जागरण है – एक प्रयास है भारत को उसकी शिक्षा परंपरा से फिर से जोड़ने का,जहाँ ज्ञान और विवेक,विज्ञान और अध्यात्म,आधुनिकता और परंपरा का सुंदर समन्वय हो

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