इंग्लिश मीडियम के स्टूडेंट्स और हिन्दी माध्यम के पालक, समस्या और निदान : हुलेश्वर जोशी
यदि आपका बच्चा इंग्लिश मीडियम स्कूल में अध्ययनरत है और आप हिन्दी माध्यम से कम पढ़े लिखे व्यक्ति हैं; इसका तात्पर्य ये कि आपके बच्चे की बेसिक स्कूलिंग/ लर्निंग में पिछड़ने की लगभग गारंटी है। इन समस्याओं के निराकरण पर आधारित इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। आपसे अनुरोध है कि इसे अन्य पालकों को भी फारवर्ड करें अथवा जो पालक स्मार्टफोन इस्तेमाल नहीं करते उनका उचित मार्गदर्शन करें…
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि जिस इंग्लिश (गैरमातृभाषा) को आप लगभग ग्यारह साल की उम्र में कक्षा छठवीं से पढ़ना शुरू किए, जब आप पूरी तरह से स्थानीय बोली/भाषा और मातृभाषा हिन्दी में पूरी तरह से परिपक्व हो चुके थे। आपके बच्चों के साथ ऐसा कदापि नहीं है; हालाँकि आपने छः-सात साल की उम्र में सीधे कक्षा पहली में प्रवेश लिया था; जबकि आपका बच्चा ढ़ाई से तीन साल की उम्र में ही फर्स्ट क्लास से तीन साल पहले नर्सरी में एडमिशन लेता है। आपसे आपके बचपन की यादें ताज़ा करने को कहा जाए तो लज्जा से आप लाल हो जाएं हालाँकि कुछ कम ही सही मगर नर्सरी के दौरान आपका बच्चा भी ठीक वैसे ही एक्ट करता है जैसे आप ढ़ाई तीन साल के उम्र में करते थे। आपको हँसी नहीं आना चाहिए कि हम जब तीन साल के थे तो बिना माँ-पापा, दादा-दादी अथवा बुआ-चाचा या चाची के सहयोग के बिना भूखे-प्यासे, मुँह में धूल धक्कड़ और कीचड़ से सने ही नहीं बल्कि कपड़े रहित ठीक जैसे जन्म लिए थे अपने मटमैले आँगन में घूमते थे। कई पड़ोसी तो गली के नल और कुआँ तक ऐसे ही निर्वस्त्र चले जाते थे। ऐसी घटनाएँ सायद आपने भी देखी हो, मैं जब कक्षा दूसरी में पढ़ता था तब एक 9वर्षीय सहपाठी क्लासरूम में सुसु कर दिया था। वैसे डिसिप्लिण्ड टीचर के होमवर्क के भय के कक्षा 5th के स्टूडेंट्स के बारे में भी अनेक रोचक बातें जानता हूँ।
अब आप ज़रा विचार करिये, जिस उम्र में आप खुद के कपड़े पहन नहीं पाते थे उस उम्र में अपने बच्चों से एक साथ तीन तीन लैंग्वेज सीखने की अपेक्षा रखते हैं तो ये आपकी गलती है। मैं दावे से कह सकता हूँ आप में से कुछ पालक आज भी अपने बच्चे को नर्सरी क्लास के लिए मेनिपोको पैंट पहनाकर भेजते होंगे। मगर अपेक्षा, दबाव और प्रताड़ना इतनी की एक दिन में ही पटवारी बनने जितना उनका बच्चा सीख जाए। प्रेसर मत दीजिये, प्रताड़ित मत करिये बालकों को, उन्हें मेरिट के घानी में मत फांदिये; थोड़ा बचपन भी जीने दीजिए।
आप इंग्लिश मीडियम के या बहुत पढ़े लिखे न हों तो दावे से कह सकता हूँ आप इंग्लिश मीडियम फर्स्ट क्लास की होमवर्क करके देखिए, आपकी औकात का पता चल जाएगा। मैं हिन्दी मीडियम के 40+ उम्र के ऐसे साथियों को भी जानता हूँ जो अंग्रेजी में स्नातकोत्तर अर्थात मास्टर डिग्री प्राप्त हैं; ये लोग भी PP2/LKG की होमवर्क के लिए गूगल ट्रांसलेट और ऑक्सफ़ोर्ड की डिक्शनरी की सहायता लेते हैं। अंग्रेजी में स्नातकोत्तर आप अंग्रेजी में एक सादा आवेदन नहीं लिख पाते और अपने 10साल के बच्चे से फर्राटेदार इंग्लिश बोलने की अपेक्षा रखते हैं।
आप समझिए : बिना सहयोग, बिना कोचिंग के ख़ासकर उन विषयों के लिए जो आपके बच्चे की मातृभाषा अथवा मातृबोली न हो उसके लिये प्रेसर मत दीजिये, प्रताड़ित मत करिये।
आप नर्सरी से क्लास थ्री तक के बच्चे को कोचिंग में भेज रहे हों चाहे न भेज रहे हों उनके होमवर्क में स्पोर्ट के लिए आपकी अंग्रेजी भी अच्छी होनी चाहिये। मगर कैसे? ये तो संभव नहीं है कि आप अपना कामधंधे, कृषि मजदूरी अथवा नौकरी/रोजगार छोड़कर इंग्लिश स्पीकिंग सीख लें। इसका तात्पर्य ये है कि आपको कुछ आसान उपाय जानना चाहिए जिससे अंग्रेजी माध्यम के सिलेबस में से आप होमवर्क आसानी से करा सकें।
निदान:
भाग-1, स्मार्टफोन और गूगल आधारित
1- अपने स्मार्टफोन में गूगल ट्रांसलेट डाऊनलोड कर लीजिए।
2- गूगल ट्रांसलेट में होमवर्क में दिए गए प्रश्नों को इंग्लिश में टाइप करके अपनी मातृभाषा में अनुवाद करें..
3- जिस यूनिट/लेसन से होमवर्क मिला हो उसे टाइप करके मातृभाषा में अनुवाद करें…
4- अपनी समझ के आधार पर प्रश्नों का उत्तर लिखने में आपको सहायता मिलेगी।
5- यूट्यूब में सिलेबस और ग्रामर इत्यादि उपलब्ध है, यूट्यूब में सर्च करके इसका लाभ उठा सकते हैं। यूट्यूब में कई ऐसे चैनल हैं जो आपकी काफ़ी हद तक मदद कर सकती है।
भाग-2, किताब आधारित समझ वृद्धि
(यदि आपके पास स्मार्टफोन न हो अथवा इंटरनेट की व्यवस्था न हो)
1- ऑक्सफोर्ड अथवा किसी अच्छे प्रकाशक की हिन्दी से इंग्लिश और इंग्लिश से हिन्दी की बड़ी डिक्सनरी खरीद लें। यदि आपकी मातृभाषा हिन्दी न हो तो अपनी मातृभाषा से सम्बंधित डिक्सनरी खरीदें।
2- अब्दुस सलाम चाउस, की “इंस्टेंट इंग्लिश” नामक किताब अथवा अन्य किताब खरीद लें और इसका नियमित अध्ययन करें।
3- इंग्लिश ग्रामर के लिए 9th से 12th के बीच किसी भी क्लास की युगबोध प्रकाशन की इंग्लिश की गाइड खरीद लें। आप चाहें तो दूसरी कोई अच्छी क़िताब भी खरीद सकते हैं।
4- बच्चे को होमवर्क कराने के साथ साथ आप भी अपने स्किल्स में वृद्धि करने के लिए बच्चे के पाठ्यपुस्तक को कम से कम एक घंटा जरूर पढ़ें।
विशेष : लेखक शिक्षाशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त हैं परंतु हिन्दी माध्यम की शिक्षा प्राप्त करने तथा इंग्लिश मीडियम के बच्चे का पेरेंट्स होने के कारण स्वयं समस्याओं से सरवाइव कर रहा है।