शहर में एंबुलेंस भी नहीं दी और इलाज के अभाव में महिला की डायरिया से मौत

सिम्स की लापरवाही और कुप्रबंधन से परेशान है मरीज- शैलेश

उच्च न्यायालय के निर्देश और कलेक्टर की विजिट से भी नहीं है सुधार

नसबंदी कांड की हत्यारी सरकार रोज़ रोज़ मौत के कीर्तिमान बना रही है

बिलासपुर. आये दिन सिम्स के इलाज न मिलने और कुप्रबंधन से किसी न किसी की मृत्यु हो जाती है या फिर इलाज से असंतुष्ट मरीज़ हॉस्पिटल छोड़ कर निजी हॉस्पिटल में चले जाते है और जिनके पास पैसा नहीं है वो मजबूरी में इलाज इलाज करवाते है।कभी टेस्ट नहीं हो रहे है कभी मशीन बंद है कभी डॉक्टर नहीं है बस रेफर रेफर का खेल चल रहा है,मरीज़ों को एंबुलेंस भी नहीं दे पायी सरकार,ये बड़े ही शर्म की बात है।बिलासपुर वासी कौशल परिवार की माता आज cims की लापरवाही का शिकार हो गई और इलाज के अभाव से और हॉस्पिटल के कुप्रबंधन के कारण जान चली गई,जबकि शहर में स्तिथ उच्च न्यायालय ने उचित दिशा और निर्देश सरकार और प्रशासन को दिया हुआ है और इसके चले ज़िले के कलेक्टर भी अपने दौरे कर के आए है लेकिन cims में कोई सुधार नहीं हुआ और रोज़ रोज़ कोई न कोई मरीज इसका शिकार हो रहा है।

प्रदेश में डायरिया और मलेरिया इस कदर फैला हुआ है के हालात छुपे हुए नही है साफ़ पानी को भी बिलासपुर ज़िले के लोग तरस रहे है और न जाने कितनी मौतें डायरिया और मलेरिया से हो चुकी है और सरकारी आँकड़ों में पीड़ितों का हज़ार से ऊपर आँकड़ा पहुँच चुका है,सरकार का तंत्र पर्याप्त व्यवस्था नहीं कर पा रहा है।

cims जैसे हॉस्पिटल में जहां लापरवाही जैसे आदत बन गई है और मरीज़ का इलाज जैसे एहसान करने के लिए किया जा रहा है या सिर्फ़ खानापूर्ति रह गया है क्योंकि रेफर का खेल वहाँ जोरो से चलता है।संभाग के बड़े हॉस्पिटल का ये हाल है तो बाक़ी हॉस्पिटल के बारे में क्या कह सकते है और ज़िम्मेदार लोग कोई सुनवाई नहीं कर रहे है और न ही उपलब्ध रहते है।एंबुलेंस भी न मिलना,व्हील चेयर न मिलना बड़ी खेदजनक बात है इससे गरीब कहाँ जाये और गरीबों के उत्थान के लिए सरकार रोज़ करोड़ों अपने विज्ञापन में खर्च कर रही है।सरकार को cims की व्यवस्था बदलनी चाहिए और दोषी डॉक्टरों को विधि सम्मत कार्यवाही करनी चाहिए और पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए।

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