तकनीक के प्रयोग से सभी को मिले श्रेष्‍ठतम शिक्षा : कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल

वर्धा. अध्‍यापन में आधुनिक तकनीक के प्रयोग से समाज के अंतिम व्‍यक्ति तक श्रेष्‍ठतम शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। यह विचार महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने व्‍यक्‍त किये। विश्‍वविद्यालय में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की परियोजना पंडित मदन मोहन मालवीय राष्‍ट्रीय शिक्षक एवं शिक्षण मिशन के तत्‍वावधान में शिक्षा विद्यापीठ के द्वारा ‘उच्च शिक्षा में प्रौद्योगिकी-सक्षम अधिगम’ विषय पर 23 से 28 अगस्‍त, 2021 तक राष्‍ट्रीय ऑनलाईन ‘संकाय संवर्धन कार्यक्रम’ के संम्‍पूर्ति सत्र की अध्‍यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. शुक्‍ल बोल रहे थे। कार्यक्रम में मुख्‍य अतिथि के रूप में सुविख्‍यात दार्शनिक एवं शिक्षाविद् प्रो. हरिकेष सिंह उपस्थित थे। संम्‍पूर्ति सत्र में विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल के शिक्षा से संबंधित दिए गये व्‍याख्‍यानों का सकंलन ‘शिक्षा जो स्‍वर साध सके’ पुस्‍तक का विमोचन किया गया है। पुस्‍तक का संपादन शिक्षा विद्यापीठ के सहायक प्रो. ऋषभ कुमार मिश्र ने किया है। इस कार्यक्रम में संपूर्ण भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों के 300 से अधिक संकाय सदस्यों तथा अध्येताओं ने सहभागिता की।
प्रो. शुक्‍ल ने वर्तमान परिस्थिति का संदर्भ देते हुए अपने सारगर्भित वक्तव्य में कहा कि तकनीक आधारित पढाई सभी के लिए आशा की नई किरण लेकर आई है। इसका हमें सावधानीपूर्वक प्रयोग करना चाहिए। गुणवत्‍तायुक्‍त शिक्षा हर व्‍यक्ति को प्राप्‍त होनी चाहिए। जिसके लिए तकनीक कारगर भूमिका निभा सकती है। उन्‍होंने शिक्षकों को तकनीक की दृष्टि से सक्षम होने का आहवान करते हुए कहा कि तकनीक हमारे लिए उपकारक और सहायक की भूमिका में है। परंतु श्रेष्‍ठ मनुष्‍य की निर्मिति करना शिक्षकों का ही काम है। ऐसे में हमें दूधारी तलवार के रूप में तकनीक का ज्ञान में नवोन्‍मेषी प्रयोग सुनिश्चित करना चाहिए। उन्‍होंने कहा शिक्षकों को अपने मन-मस्तिष्‍क को विस्‍तार देने के लिए तकनीक को सावधानी से अपनाना चाहिए।
प्रो. हरिकेष सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि सिखने और सिखाने के लिए तकनीक आवश्‍यक उपकरण है। परंतु शिक्षकों को यंत्र और मन के बीच तालमेल बनाकर काम करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि शिक्षकों को पूरी तरह से मशीन पर निर्भर न रहते हुए अपने मानस का भी समूचित उपयोग करना चाहिए और अपने मस्तिष्‍क को निरंतर परिष्‍कृत करते रहना चाहिए। इस अवसर पर शिक्षा विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. मनोज कुमार ने शिक्षा में हुए क्रांतिकारी परिवर्तनों का जिक्र करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी के पास सूचनाओं का भंडार है, हमें आधुनिक तकनीक के माध्‍यम से सही और उपयोगी सूचनाओं को उनके मन में रोपित करना चाहिएं। कार्यक्रम का प्रतिवेदन शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. संदीप पाटिल ने प्रस्‍तुत किया। स्‍वागत वक्‍तव्‍य शिक्षा विभाग के प्रो. शिरीष पाल सिं‍ह ने दिया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रमोद जोशी ने किया। शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर ने धन्‍यवाद ज्ञापित किया।

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