December 4, 2024

70 दिनों से किसान आंदोलन में है, एक किसान की मौत हो गयी, अब भी किसानों को नही सुना जाना दुखद : कोमल हुपेंडी

रायपुर. वर्तमान में छत्तीसगढ़ हो या देश के किसानों की दुर्दशा जो हम देख पा रहे है, उसके पीछे भाजपा और कांग्रेस दोनो ही सरकारो का हाथ है, दोनो ही सरकारों ने खूब बड़े बड़े दावे किए, किंतु जब बात ज़मीनी हकीकत की बात आती है, तो देखा जा सकता है कि दिल्ली हो या रायपुर, दोनो ही जगह किसानों को लड़ना पड़ रहा है।
प्रदेश के कोषाध्यक्ष जसबीर सिंह ने बोला कि राज्यमें भुपेश बघेल सरकार में किसानो को समय से बारदाना तक नही मिल सका, ना ही समय से धान खरीदी हुई, जिसके कारण किसानों की फसल का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। जो सरकार किसानों को एक बारदाना तक उपलब्ध नही करवा सकी, वो सरकार किसानों के साथ क्या ही न्याय करेगी? उसके बाद अब देख सकते है कि आंदोलन में बैठे 70 दिन होने के बाद एक किसान की मौत हो चुकी है, तो उसकी भी कोई सुनवाई नही।
राज्य की सह संगठन मंत्री दुर्गा झा कहती है कि पूरे राज्य और देश का पेट पालने वाले किसान की हालत ये है कि उसको अपने अधिकारों और हक के लिए रायपुर से लेकर दिल्ली तक आंदोलन करने पड़ते है, जो कि बेहद पीड़ादायक है। पार्टी के संगठन मंत्री भानु चंद्रा कहते है कि छत्तीसगढ़ में बीते दिनों चाहे सिलगेर के आदिवासी किसानो का आंदोलन हो, या वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 70 दिनों से आंदोलन कर रहे किसान हो, किसान को अपना हक को लेने के लिए सालों, महीनों लड़ाइयों को लड़ना पड़ रहा है, न जाने कितनी शहादत देनी पड़ रही है, तब जाकर फुसफुसाई हुई आवाज में कथित बड़ी पार्टी के बड़े नेता जिनका ईमान बेहद छोटा है, उनको किसान की शहादत के पहले जुबान तक नही खुलती, अब जब रायपुर के आंदोलन में एक किसान की शहादत हो जाती है, तो हर बार की तरह, रटा रटाया भ्रष्ट राजनीति वाला एकमात्र जवाब आता है “मुआवजा”
प्रियंका शुक्ला ने भाजपा और कांग्रेस दोनो पर ही सवाल खड़े किए और बोला कि क्या किसान की जान इतनी सस्ती है कि उसके मरने पर कुछ लाख रुपये से सब रफा दफा हो जाता है। मुआवजा तो बिन मांगे, और बिना देरी किए अविलंब देना ही चाहिए,लेकिन इस राजनीतिक दमन में हुई हत्या की दोषी भुपेश बघेल सरकार पर कोई जाँच होगी? राज्य के संयोजक कोमल हुपेंडी ने किसानों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए बोला कि  चुनाव पास आते ही, बड़ी बड़ी हवा हवाई बातों के साथ, बड़े ही बेशर्मी से पुनः नेता चुनाव लड़ने आ जाएंगे, उसके पहले तो किसान याद तक नही आएगा, कही भी चुनाव होंगे तो छत्तीसगढ़ के CM होकर, उनके अंदर दूसरे राज्य के किसानों को भला करने के लिए 50 लाख तक दे आएंगे, काश कि छत्तीसगढ़ में भी चुनाव होता, तो ये एक किसान भी न मरता और जो कहता, सब सुनवाई होती।
दुखद है कि आम आदमी पार्टी यहां नही सत्ता में नही है, वरना एक भी किसान के साथ ऐसा नही होने दिया जाता।
प्रदेश के सह सूरज उपाध्याय ने बोला कि  भुपेश बघेल और रमन सिंह, दोनो ने ही राज्य के किसानों का, आदिवासियों का बँटाधार किया है, इसीलिए दोनो से मुक्ति होकर ही राज्य के किसानो और आदिवासी किसानो का कोई भला हो सकता है, इसके लिए आम आदमी पार्टी दिल्ली, पंजाब के बाद, अब छत्तीसगढ़ में भी किसानों और आदिवासियों के मुद्दों पर काम करके, जनता को भाजपा और कांग्रेस से छुटकारा दिलवाएंगी।
प्रियंका शुक्ला द्वारा आगे बोला गया कि अभी एक किसान की मौत हुई है, आगे और शहादत का इंतज़ार कर रही सरकार को,बिना देरी किये, किसानों के आंदोलन स्थल पर जाकर, किसानो से बातचीत करके, संवाद करके,एक सही औऱ किसान हित मे फैसला लेना चाहिए, उनकी मांगों को सुनना चहिए। आम आदमी पार्टी , छत्तीसगढ़ चेतावनी देती है कि यदि आंदोलन में बैठे किसानों से संवाद करके, यदि उनकी मांगों को नही माना जाता, तो पार्टी के प्रदेश के नेता व संयोजक कोमल हुपेंडी के नेतृत्व में आगामी तारीख तय करके, जगह जगह प्रदेश के हर जिले में बड़ा प्रदर्शन भी किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post ऑनलाइन परीक्षा की मांग, छात्रसंघ ने घेरा अपर संचालक उच्च शिक्षा कार्यालय
Next post VIDEO : महिला सुरक्षा जागरूकता सप्ताह, 36 मॉल में डांस एवं सिंगिंग कॉम्पिटिशन का आयोजन
error: Content is protected !!