किसानों के लिए आयोजित कृषि मेले में किसानों का रहा टोटा..!
बिलासपुर. राज्य सरकार द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कृषि मेले में किसानों का टोटा रहा है. आधी से ज्यादा कुर्सियां खाली नजर आई. इस ओर न ही मंत्री जी ने ध्यान दिया और न ही अधिकारियों ने जानने की कोशिश की. इसके अलावा निजी कंपनी द्वारा लगाए गए स्टॉल में अंग्रेजी शब्दों का उपयोग करने से हिन्दी भाषी लोगों स्टॉल में जाने से बचते रहे.
राज्य सरकार द्वारा किसानों को उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक विधि से खेती की जानकारी देने बिलासपुर के साइंस कॉलेज मैदान में तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कृषि मेले का आयोजन किया जा रहा है. जिसका उद्घाटन बुधवार को कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने किया. मालूम हो कि यह आयोजन किसानों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है. जिसमें किसानों को उन्नत तकनीकी से खेती करने की जानकारी देने की बात की जा रही है. साथ ही किसानों को प्रैक्टिकल कर समझाने साग-सब्जी, पशु पालन, टै्रक्टर, खाद, मछली पालन आदि का स्टॉल लगाया गया है तथा खेती-किसानी की जानकारी देने विशेषज्ञों को बैठाया गया है, लेकिन, विडंबना देखिए, करोड़ों रूपए खर्च कर आयोजित इस मेले में किसानों की संख्या नहीं के बराबर रही.
मंत्री अपने पार्टी के लोगों के साथ आए, भाषण दिया और चले गए. उन्होंने यह जानने की कोशिश भी नहीं कि किसान कहां है और नहीं आए तो क्यों नहीं आए. इसका यह ही मतलब निकाला जा सकता है कि शासन को अपना प्रचार करना है और अपनी ही पीठ थपथपाकर वाह वाही लूटना है. सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव प्रचार के समय किसानों के हित की बात कर रही थी. राज्य को फिर से धान का कटोरा बनाने सब्जा बाग दिखाया जा रहा था, लेकिन आज हुए कृषि मेला में सरकार की करनी और कथनी सबके सामने आ गई. हालांकि मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम के बाद अधिकारियों के साथ गुप्त मीटिंग ली, लेकिन यह जानने का प्रयास नहीं किया कि किसान आखिर क्यों नहीं आए.
हिन्दी भाषी प्रदेश में अंग्रेजी का बोलबाला
साइंस कॉलेज मैदान में सरकार ने शासकीय और निजी क्षेत्र के कंपनियों का पंडाल लगाया है. जहां कृषि से संबंधित स्टॉल भी लगे है. हालांकि शासकीय पंडाल के बाहर मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री का तस्वीर लगा है तथा हिन्दी भाषा में पंडाल में नाम भी लिखा है. वहीं दो निजी पंडाल में अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया गया है. जिससे किसान तो छोडि़ए पढ़े-लिखे लोग भी जाने से कतरा रहे है. इतने बड़े आयोजन में इतनी बड़ी चूक होना कोई मामूली बात नहीं है, लेकिन इस ओर न ही मंत्री जी ध्यान दे पाए और न अधिकारियों ने इसे सुधारने की कोशिश की.