सहकारिता संशोधन बिल से किसानों को होगा लाभ इसलिए भाजपा कर रही है विरोध

रायपुर. भाजपा के प्रेस वार्ता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार सहकारिता संशोधन बिल लाकर सहकारिता क्षेत्र को किसानों के लिए सहज और सुविधाजनक बना रही है तो भाजपा के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? सहकारिता संशोधन बिल विधिवत रूप से पारदर्शी तरीके से सदन में चर्चा के बाद पास किया गया है जिसे राज्यपाल महोदय जी के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है ऐसे में भाजपा बताएं जो बिल सदन में पारदर्शी तरीके से लाया गया है वह अलोकतांत्रिक कैसे हुआ?

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा ने सहकारिता संशोधन बिल का विरोध कर अपने किसान विरोधी एजेंडे को ही आगे बढ़ाया है? भाजपा को बताना चाहिए कि 15 साल के रमन सरकार के दौरान सहकारिता के विकास के लिए क्या काम किया गया था 15 साल में सहकरिता का क्षेत्र मृत प्राय हो चुका था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने किसानों को धान बेचने में असुविधा ना हो धान के परिवहन में असुविधा ना हो इस को ध्यान में रखते हुए 725 नए सहकारिता समिति का गठन किए हैं और उन समितियों सर्व सुविधा युक्त बनाने के लिए जिसमें भवन गोडाउन चबूतरा एवं सेड निर्माण कंप्यूटर कक्ष के लिए 182 करोड रुपए की राशि स्वीकृत किए हैं। एक सहकारिता समिति के लिए 25 लाख 60ह जार रु की राशि स्वीकृत की गई है। जो 15 साल के रमन भाजपा शासनकाल में कभी नहीं हुआ था। आज छत्तीसगढ़ में 2054 सहकारिता समिति हैं जहां किसान धान बेचते हैं उन सहकारिता समितियों में लगभग 4000 से अधिक चबूतरा एवं सेड का निर्माण किया जा चुका है। जिनके माध्यम से राज्य सरकार ने 98 लाख मीट्रिक टन से अधिक की धान की खरीदी की है और सुविधापूर्वक परिवहन का कार्य भी संपन्न किया जा चुका है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि बीते 8 साल से केंद्र में और 15 साल तक छत्तीसगढ़ में भाजपा की आदमखोर सरकार थी जो किसानों के भविष्य को अपना ग्रास बनाई थी मोदी सरकार ने तीन काला कृषि कानून लाया जो 700 से अधिक किसानों के प्राण ले लिया यह आदमखोर सरकार होने की जीता जागता प्रमाण है नोटबंदी लाया गया 200 से अधिक लोगों की प्राण मोदी सरकार की नोटबंदी ने लिया । छत्तीसगढ़ में 15 साल तक छत्तीसगढ़ में रमन भाजपा की सरकार थी उस दौरान हजारों किसानों ने आत्महत्या कर लिया आदमखोर सरकार की पहचान है।

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