FATF से बचने के लिए पाकिस्तान ने आतंकी संगठन लश्कर का नाम बदला, अब इस नाम से दे रहा साजिशों को अंजाम


इस्लामाबाद. कोरोना संकट (Coronavirus)के बीच भी पाकिस्तान अपने आतंकी मंसूबों को अंजाम देने में मशगूल है. पाक ने अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का नाम बदल दिया है. हालांकि, इसमें नया कुछ नहीं है पाकिस्तान पहले भी कई बार ऐसा कर चुका है और अब यह उसकी आदत बन गई है.

जानकारी के अनुसार, लश्कर का नाम बदलकर ‘द रेजिस्टेंस फोर्स’ (TRF) कर दिया गया है. जम्मू-कश्मीर में हुई कई आतंकी घटनाओं में TRF का हाथ होने की बात सामने आई है.

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लश्कर को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाला गया है. ऐसे में उसके इसी नाम से गतिविधियों को अंजाम देने से इमरान सरकार मुश्किल में पड़ सकती थी. इसलिए सोची-समझी रणनीति के तहत लश्कर का नाम बदलकर TRF रख दिया गया है.

मार्च में जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक ने WION को बताया था कि TRF लश्कर-ए-तैयबा का लोकल फ्रंट है. भारत सरकार द्वारा घाटी से धारा 370 हटाने के तुरंत बाद पाकिस्तान इसे अस्तित्व में लेकर आया था. उस वक्त TRF के आतंकियों को हथियार मुहैया नहीं कराये गए थे. वे केवल ग्रेनेड हमलों और OGW कार्रवाई में शामिल थे.

उन्होंने यह भी बताया था कि पुलिस द्वारा पहचाना गया यह लश्कर का पहला TRF मॉड्यूल है, जिसे जल्द ही हथियारों से लैस किया जाएगा. इससे पहले TRF की हथियारों की खेप को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में भूमिका सामने आई थी.

खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) की कार्रवाई से बचने के लिए लश्कर का नाम बदला है. इस्लामाबाद FATF को यह दर्शाना चाहता है कि वह निर्धारित समय सीमा तक अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने पर काम कर रहा है.

FATF ने COVID-19 संकट को देखते हुए पाकिस्तान सहित अन्य देशों के लिए समीक्षा की निर्धारित समय सीमा को 4 महीने के लिए टाल दिया है. दरअसल, FATF ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में रखा हुआ है और इससे बाहर निकलने के लिए उसने पाक के सामने 27 शर्तें रखी थीं, जिनमें से वह कुछ ही शर्तों पर काम कर पाया है. FATA को जून में पुन: समीक्षा करनी थी, लेकिन कोरोना संकट के मद्देनजर इसे आगे बढ़ा दिया गया है.

FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए अपना रहा हर हथकंडा
FATF ने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि जून में होने वाली समीक्षा को मौजूदा हालातों को देखते हुए चार महीनों के लिए टाला जा रहा है. क्योंकि अधिकांश देशों ने महामारी से निपटने के लिए कड़े उपाय लागू किये हैं, ऐसे में व्यक्तिगत रूप से वहां जाकर हालातों का जायजा लेना संभव नहीं है.

FATF ने भले ही समीक्षा को टाल दिया है, लेकिन पाकिस्तान को FATF द्वारा निर्धारित 27 बिंदुओं वाली कार्य योजना पर काम करना है, जिसकी समय सीमा पिछले साल सितंबर में ही समाप्त हो चुकी है. पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा फरवरी में ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने और ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए शेष आवश्यक कार्य पूरे करने के लिए जून तक की मोहलत प्रदान की गई थी. FATF की ग्रे लिस्ट में होने के चलते पाकिस्तान को 10 मिलियन का नुकसान उठाना पड़ा है. इसलिए वह इससे बाहर निकलने के लिए हर हथकंडा अपना रहा है. लश्कर का नाम बदलना भी इसकी साजिश का हिस्सा है.

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