कोरोना का ख़ौफ, शव लेने नहीं आ रहे परिजन

बिलासपुर. कोविड 19 की दूसरी लहर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस संक्रामक महामारी ने सच्चे दोस्त व रिश्तेदारों के अपने पन की पोल भी खोल दी है। कोविड 19 से मरने वालों की स्थिति क्या है… इस बात का पता सिर्फ श्मशान घाट में लगाया जा सकता है। इसका जीवंत उदाहरण आप को श्मशान घाट व अस्पताल से शव रिसीव करते समय मिल सकता है। शुक्रवार की दोपहर 1 बजे तक रेलवे कोविड अस्पताल से 7 शव को हैंडओवर किया गया। इसमे एक वाहन से तीन से चार शव डिस्पेच किये गये।  एक शव को लेने मृतक की पत्नी, पुत्र व उसके आधा दर्जन दोस्त अस्पताल पहुचे थे। वही एक अन्य शव की पहचान करने अकेले एक युवक उपस्थित था। तीसरा शव डिपू पारा के एक सज्जन का था। उस शव को रिसीव करने कोई नही पहुँचा था। इस पर 2 घंटे से अन्य शवों को लेने के लिए अस्पताल में पहुचे लोगो ने हंगामा किया। हंगामें के बाद अस्पताल के एक जिम्मेदार कर्मचारी ने बताया कि मृतक के परिवार के तीन सदस्यों की कोविड से पहले ही मौत हो गई है। एक मात्र सदस्य 22 वर्षीय पुत्री भर है जो कि इसी अस्पताल में कोविड से जंग लड़ रही। परिवार के जिन सदस्यों का नम्बर दिया गया है। उस नंबर में फोन करने पर पिछले दो घण्टे से आने की बात कही जा रही पर कोई नही आ रहा है। मानवता के तहत उनका इंतजार किया जा रहा है। स्टाफ ने हंगामा करने वालो से थोड़ा और इंतजार करने की विनती की। इस पर मृतको के परिजन शांत हो गए। आधे घण्टे बात एक व्यक्ति, एक बीमार युवती के साथ बाइक में आया व मृतक की पहचान की। इसके बाद तीन शवों को निगम के शव वाहन में लेकर श्मशान घाट पहुचाया गया। अब श्मशान घाट की कहानी अलग थी। तीन शव में एक मृतक का पुत्र व उसके आधा दर्जन मित्र उपस्थित थे। दूसरे शव के साथ एक व्यक्ति था, किंतु तीसरे शव को श्मशान घाट में उतारने के लिए उनका कोई परिजन नही था। बाद में निगम के कर्मचारियों ने शव को नीचे उतारा। किंतु परिजनों की अनुपस्थिति में लाश घंटो अंतिम संस्कार के लिए पड़ी रही। स्थिति यह है कि आज श्मशान घाट में 10 से अधिक मृतको का अंतिम संस्कार किया गया किंतु वहाँ मरने वालों के परिजनों व अंतिम संस्कार में शामिल होने वालों की संख्या नगण्य थी।

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