गांधी की वैचारिक संरचना योग और अध्‍यात्‍म पर खड़ी है : प्रो. राम प्रकाश द्विवेदी

वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग सप्ताह के अंतर्गत छठवें दिन 26 जून को महात्‍मा गांधी फ्यूजी गुरूजी सामाजिक कार्य अध्‍ययन केंद्र एवं राष्‍ट्रीय सेवा योजना के संयुक्‍त तत्‍वावधान में सम्मिश्र पद्धति से ‘गांधी के चिंतन में योग’ विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में महात्‍मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के प्रो. राम प्रकाश द्विवेदी ने कहा कि महात्‍मा गांधी ने एकादश व्रत और अष्‍टांग योग के सिद्धांतो का पालन किया। उनकी वैचारिक संरचना अध्‍यात्‍म पर खड़ी है।

विश्‍वविद्यालय के तुलसी भवन स्थित महादेवी वर्मा सभागार में आयोजित कार्यक्रम की  अध्‍यक्षता प्रतिकुलपति  प्रो.चंद्रकांत रागीट ने की।  प्रो. द्विवेदी ने योग की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि महात्‍मा गांधी का जीवन- दर्शन योग से प्रभावित रहा है। उन्‍होंने सत्‍य अंहिसा, सत्‍याग्रह, अपरिग्रह,  ब्रम्‍हचर्य आदि व्रत अपने जीवन में उतारे है। वे हर रोज प्रार्थना करते थे, अर्थात उनकी दिनचर्या में योग और अध्‍यात्‍म का अहम स्‍थान रहा है।

अध्‍यक्षीय उद्बोधन में प्रतिकुलपति  प्रो.चंद्रकांत रागीट ने कहा कि यम-नियम को महात्‍मा गांधी ने जीवन का आधार बनाया। एकादश व्रत का पालन करते हुए उन्होंने आश्रम में कर्म सिद्धांत को लागू किया था।

महात्‍मा गांधी फ्यूजी गुरूजी सामाजिक कार्य अध्‍ययन केंद्र के निदेशक प्रो. मनोज कुमार ने आधार वक्‍तव्‍य देते हुए कहा कि गांधी का जीवन योगिक था। उन्‍होंने जीवन पर्यंत लोगों को जोड़ने का काम किया। आज के परिप्रेक्ष्‍य में उनकी योगिक जीवन दृष्टि अपनाने की आवश्‍यकता है।

कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य केंद्र के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. के. बालराजु ने दिया। संचालन केंद्र के सहायक प्रोफसर, राष्‍ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शिव सिंह बघेल ने किया तथा आभार सहायक प्रोफेसर डॉ. मिथिलेश कुमार तिवारी ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम में अध्‍यापक शोधार्थी एवं विद्यार्थी प्रत्‍यक्षत: तथा आभासी माध्‍यम से बड़ी संख्‍या में जुड़े थे।

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