सुबह उठकर रोज करें ये 1 आसन, शरीर बनेगा लचीला, मिलेंगे ये 7 जबरदस्त लाभ, जानिए विधि
आज हम आपके लिए लेकर आए हैं विपरीत दंडासन के फायदे. विपरीत दंडासन या इनवर्टेड स्टाफ पोज का अभ्यास करने से शरीर को लचीला बनाने और मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है.
क्या है विपरीत दंडासन
विपरीत दंडासन (Viparita Dandasana) असल में संस्कृत भाषा का शब्द है. ये शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है। पहले शब्द ‘विपरीत (Viparita)’ का अर्थ उल्टा या (Inverted) होता है. दूसरे शब्द ‘दंड (Danda)’ का अर्थ डंडा या (Staff) होता है. वहीं तीसरे शब्द ‘आसन’ का अर्थ, विशेष परिस्थिति में बैठने, लेटने या खड़े होने की मुद्रा, स्थिति या पोश्चर (Posture) से है. अंग्रेजी भाषा में विपरीत दंडासन को Inverted Staff Pose कहा जाता है.
विपरीत दंडासन के जबरदस्त फायदे
- दिमाग को शांत करता है और एंग्जाइटी लेवल को कम करता है
- दंडासन के अभ्यास से पाचन प्रक्रिया को मजबूती मिलती है.
- इसका अभ्यास साइटिका की समस्या में भी बहुत उपयोगी माना जाता है.
- इसका अभ्यास आपकी हैमस्ट्रिंग को खोलने में मदद करता है.
- रोजाना अभ्यास करने से आपके शरीर को मजबूती मिलती है.
- शरीर को लचीला बनाने के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है.
- इससे रीढ़ की हड्डी, हैमस्ट्रिंग, कंधे, गर्दन और पेट की मांसपेशियों को फायदा मिलता है.
विपरीत दंडासन करने की विधि
- सबसे पहले किसी साफ जगह पर योगा मैट बिछा लें.
- अब शवासन की मुद्रा में आयें और दोनों पैरों की एड़ियों को धीरे-धीरे मोड़ें.
- अब इन एड़ियों को मोड़कर घुटने के नीचे लाएं.
- फिर हाथों को मोड़ते हुए फर्श पर अपने कानों के बगल में रखें.
- अब सांस छोड़ते हुए घुटनों को धड़ से दूर कर लें.
- फिर अपने कंधे, हिप्स और सिर को हवा में उठाएं.
- अब हाथों को मोड़कर सिर और पैरों के बीच में रखें.
- धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए बाएं हाथ को सिर के पीछे ले जाएं.
- इसके बाद दाहिने हाथ को भी पीछे ले लें.
- दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें.
- फिर सिर को उठा कर फर्श पर ले जाएं.
- सांसों की गति को धीमा रखने की कोशिश करें.
- थोड़ी देर इस पोजीशन में रहें और फिर वापस सामान्य मुद्रा में आयें.
विपरीत दंडासन के दौरान रखें ये सावधानियां
- धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं.
- कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें.
- वॉर्मअप के बाद ही इसे करें
- योग्य योग गुरु की देखरेख में आसन का अभ्यास करें.
- पेट में दर्द होने पर इसे न करें.