गनियारी आजीविका आंगन में पसरा सन्नाटा


बिलासपुर/अनिश गंधर्व. राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा महिलाओं को रोजगार देने, उन्हें प्रशिक्षित करने आजीविका आंगन (मल्टी एक्टीविटी सेंटर) का निर्माण किया गया है। लगभग 4 करोड़ की लागत से बने आजीविका आंगन में भी कोरोना का ग्रहण लग गया है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाएं यहां नहीं आ रही है और न प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षक का कोई अता पता है। पूरे परिसर में मात्र दो महिलाएं सिलाई कार्य करते मिली। मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटन किए गए इस आजीविका आंगन का हाल इन दिनों बेहाल हो चुका है। सोशल डिस्टेंसिग व अन्य मापदंड के सहारे इसका संचालन आसानी से किया जा सकता है किंतु जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिसके चलते जरूरतमंद महिलाओं को आर्थिक कठनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।


गनियारी आजीविका आंगन (मल्टी एक्टीविटी सेंटर) का निर्माण वर्ष 2019 के अगस्त माह में किया गया। इसका उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधायक रश्मी सिंह, विधायक शैलेश पाण्डेय के आतिथ्य में संपन्न हुआ। यहां महिलाओं को चूड़ी बनाना, सिलाई सिखाना, अगरबत्ती बनाना, सैनेटरी पैड्स सहित अन्य जनउपयोगी कार्यों के लिए प्रशिक्षण देने राज्य सरकार ने बीड़ा उठाया है। गनियारी आजीविका आंगन के अलावा इसी तरह और भी सेंटर खोले गये हैं। शुरूवाती दौर में ही जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण के गनियारी आजीविका आंगन में लगभग काम ठप्प पड़ा हुआ है।


मशीनें धूल खा रही है। इस सेंटर में मात्र दो महिलाएं ही सिलाई कार्य करते दिखी। इसके अलावा प्रशिक्षण केन्द्रों में कोई भी मौजूद नहीं था। कीमती उपकरणों को ढंककर रख दिया गया है। मल्टी एक्टीविटी सेंटरों की रखरखाव व कार्य सुचारू करने की सख्त आवश्यकता इन दिनों बनी हुई है, सरकारी रूपयों का दुरूपयोग रोकने जिम्मेदार अधिकारी पल्ला झाड़ रहे हैं।


नरवा-गरूवा-घुरवा अउ बाड़ी का नारा लेकर राज्य की भूपेश सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं पर निरंतर आगे बढ़ रही है। गनियारी आजीविका आंगन के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने भूपेश सरकार जो सपना देखा है उसे कारगार बनाने कड़ा कदम उठाने की जरूरत है।


गैर जिम्मेदार हुए अधिकारी
नरवा-गरूवा-घुरवा अउ बाड़ी इन योजनाओं को चिन्हांकित करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री ने शहरी युवतियों का सशक्तीकरण करने व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एरिया के अनुसार प्रोजेक्ट और प्रोग्राम चलाया जा रहा है जिसे सरकारी अफसर मटियामेट करते नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री के विचारों व उनकी योजनाओं से इन अफसरों को कोई लेना-देना नहीं रह गया है, उन्हें सिर्फ मासिक पगार व रिश्वतखोरी से मतलब है।

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