Goa Revolution Day : जानिए गोवा की आजादी में क्यों खास है 18 जून


नई दिल्ली. यूं तो भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था लेकिन आजाद भारत के एक हिस्से पर कई बरसों तक विदेशियों का शासन रहा. ये हिस्सा था देश का तटीय क्षेत्र गोवा, जिसपर पुर्तगालियों का कब्जा था. और पुर्तगालियों से गोवा को आजाद कराने में 14 बरस और लगे थे.

हर साल आज ही के दिन यानी 18 जून को गोवा क्रांति दिवस (Goa Revolution Day) मनाया जाता है. गोवा की आजादी एक शख्स के बिना अधूरी है. और वो थे स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजवादी विचारधारा में यकीन रखने वाले डॉ. राम मनोहर लोहिया. 1946 में इसी दिन डॉ. राम मनोहर लोहिया ने गोवा के लोगों को पुर्तगालियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया था.

इस क्रांति ने आजादी की लड़ाई को मजबूत किया और आगे बढ़ाया. गोवा की आजादी के लिए एक लंबा आंदोलन चला और 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने यहां आक्रमण किया और इस क्षेत्र को पुर्तगालियों के शासन से आजाद करवाया. इसके बाद ही गोवा भारत में शामिल हुआ.

दरअसल 1946 में जब लगने लगा कि अब अंग्रेज भारत में ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएंगे, तब राष्ट्रीय नेता यही मानकर चल रहे थे कि अंग्रेजों के साथ-साथ पुर्तगाली भी गोवा छोड़कर चले जाएंगे. हालांकि राममनोहर लोहिया ऐसा नहीं मानते थे. यही वजह थी कि लोहिया ने 18 जून, 1946 को गोवा के लोहिया मैदान में राम मनोहर लोहिया और गोवा के ही रहने वाले डॉ. जुलियो मेनजेस ने एक बैठक बुलाई जिसमें हजारों गोवावासी शामिल हुए थे. इन दोनों देशभक्तों ने उस दिन गोवा वासियों के दिलों में आजादी की लौ जलाई थी. और इसीलिए ये दिन गोवा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में
अंकित है.

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