उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयंती की पूर्व संध्या पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय में उन्हें याद किया गया
बिलासपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, जोनल रेल कार्यालय के राजभाषा विभाग द्वारा उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी जयंती की पूर्व संध्या पर उनके साहित्य विधा पर एक ‘परिचर्चा’ का आयोजन किया गया ।इस अवसर पर उनकी कृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई । जयंती के अवसर पर जोनल मुख्यालय के विभिन्न विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी के बारे में अपने विचार रखे । अवगत हो कि रेल अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हिंदी ज्ञान में वृद्धि के लिए टैगोर पुस्तकालय में मुंशी प्रेमचंद लिखित कहानियां एवं उपन्यास एवं अन्य कई विधाओं से संबंधित किताबें रेल कार्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई है । उनमें मुंशी प्रेमचंद की कुल 22 किताबें उपलब्ध है ।
इस अवसर मुख्य अतिथि के रूप में उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त कुमार निशांत मौजूद रहे । अन्य विशिष्ट अधिकारियों में डॉ. सोमनाथ मुखर्जी, उप मुख्य. परिचालन प्रबंधक (यात्री सेवा), संतोष कुमार, वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी, अरविंद तिवारी, सहायक सामग्री प्रबंधक, अजय कुमार,सहायक कार्यकारी इंजीनियर/निर्माण, वृजनंदन सिंह , डिपो सामग्री अधीक्षक, संजय सिंह, वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर(आई टी), टी.श्रीनिवास राव, कार्यालय अधीक्षक/इंजीनियरी एवं राजभाषा विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हुए । निशांत कुमार ने प्रेमचंद जी की कहानियों को आज के संदर्भ में प्रासंगिक बताया । उन्होंने प्रेमचंद जी के उप नाम मुंशी को परिभाषित किया । संतोष कुमार, वरिष्ठं जनसंपर्क अधिकारी ने प्रेमचंद जी की कहानियों के संदर्भ में आज की परिस्थितियों की तुलना करते हुए बताया कि उनकी कहानियां आज भी प्रासंगिक है और उसके किरदार आज भी जीवंत है । उन्होंने इस प्रकार के कार्यक्रम को और भी व्यापक रूप देने तथा महिलाओं एवं परिवार के सदस्यों की भागिदारी सुनिश्चत करने के सुझाव दिये । अजय कुमार जी ने प्रेमचंद की कहानी ‘कफन’ का सारांश प्रस्तुत कर आज की सामाजिक परिस्थितियों का आंकलन किया। बृजनंदन ने उनके विभिन्र उपन्यासों जैसे सेवा सदन, कायाकल्प, कर्मभूमि, रंगभूमि एवं गोदान आदि में प्रयुक्त लोकप्रिय कथनों को रेखांकित कर मुंशी जी के लेखन शैली को बताया । कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी विक्रम सिंह ने किया । उन्होंने कार्यक्रम के प्रारंभ में मुंशी जी के जीवनवृत्त एवं साहित्यिक यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया ।