Health Tips : आयुर्वेदिक डॉ. ने सेहत के लिए बारिश के मौसम को बताया सबसे घातक, गंभीर रोगों से बचाव के लिए अपनाएं ये टिप्स

बारिश का मौसम तमाम लोगों के लिए खुशहाली लेकर आता है तो कइयों के लिए तरह-तरह की बीमारियां भी साथ लाता है। आयुर्वेद डॉक्टर ने बारिश के सीजन को सबसे घातक बताया गया है। इसके साथ ही डॉ. ने तमाम तरह की वजह और बीमारियों से बचने के बेहतर तरीके भी सुझाए हैं।

कुछ लोगों को बारिश का मौसम काफी पसंद होता है तो कइयों को ये सीजन जरा भी राज नहीं आता है। हालांकि, अधिकतर लोग इस मौसम का बेसब्री से इंतजार करते हैं। मालूम हो कि भारत के कई हिस्सों में मॉनसून आ चुका है तो कइयों में बहुत जल्द आने वाला है। बारिश आते ही ठंडी हवा और हरियाली नजर आने लगती है लेकिन इसी के साथ ये मौसम तमाम तरह की बीमारियां भी लेकर आता है। इसी सीजन में डेंगू, मलेरिया, चिकिनगुनिया जैसी बीमारियां फैलती हैं। वहीं आयुर्देविदक के अनुसार भी बारिश के मौसम को सबसे बेकार माना जाता है।

ये हम नहीं बल्कि एक आयुर्वेदिक डॉक्टर का कहना है कि सभी सीजन में बारिश का सीजन लोगों के लिए सबसे ज्यादा घातक होता है। इस सीजन को लेकर आयुर्वेदिक डॉक्टर रेखा राधामनी ने एक एक वीडियो जारी किया है जिसमें उन्होंने इस मौसम से होने वाले बीमारियां और उनके बचाव के उपाय बताए हैं। जानिए आखिरकार क्यों खतरनाक है बारिश का सीजन और बरतें सावधानियां।

​बारिश से असंतुलित हो जाते हैं शरीर के दोष

आयुर्वेद में बारिश के इस मौसम को वर्षा ऋतु कहा जाता है। डॉ. के मुताबिक, आम तौर पर सारे सीजन में हम दोष यानी Biophysical Energy रखते हैं तो हमारी सेहत ठीक रहती है लेकिन बारिश के मौसम में इनका संतुलन बिगड़ जाता है जिस वजह से तमाम तरह की हेल्थ प्रॉबलम्स होने लगती हैं। डॉक्टर ने कहा कि जब शरीर में मौजूद दोष यानी वात पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ जाता है तो वे एक दूसरे ही लड़ने लगते हैं और इसके चलते हमें क्रोनिक डिजीज की समस्याओं हो जाती है।
​कैसे करें बचाव

आयुर्वेद डॉक्टर बारिश के सीजन में होने वाली क्रोनिक डिजीज से बचाव और शरीर को सेहतमंद रखने के लिए पंचकर्म, संतुलित और हल्का आहार लेने की सलाह देती हैं।
  • बचाव के लिए आपको इन बातों को दिमाग में रखना चाहिए।
  • हल्का और ताजे भोजन का सेवन करें
  • उबला हुआ पानी या हर्बल चाय पिएं
  • तेल वाले आहार से बचें
  • बासी भोजन से बचें
  • शहद को डाइट में शामिल करें
  • तेल की बजाए घी का सेवन करें
  • लंच की आखिरी बाइट के बाद बटर मिल्क यानी यानि छाछ पिएं
  • खाने में एक साल पुराने अनाज का सेवन करें
​कराएं पंचकर्मा (Purificatory therapy)

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डॉक्टर ने सेहतमंद रहने के लिए आयुर्वेद की पंचकर्मा (Purificatory therapy) की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि रैनी सीजन में पंचकर्म के जरिए शरीर को अंदर से शुद्ध किया जाता है। यह थेरेपी शरीर में एक नई ऊर्जा भरने वाला एक आयुर्वेदिक उपचार है। इससे शरीर के दोष असंतुलित नहीं होते हैं। इससे ना सिर्फ शरीर और मन अंदर से शुद्ध होते हैं बल्कि यह शरीर को संक्रमणों से लड़ने के लिए तैयार करता है।

इस प्रक्रिया का प्रयोग शरीर के विषैले पदार्थों से निर्मल करने के लिए किा जाता है। आयुर्वेद कहता है कि असंतुलित दोष शरीर में तमाम तरह के विषाक्त यानी टॉक्सिन उत्पन्न करता है लिहाजा पंचकर्मा उनके लिए सबसे अच्छी थेरेपी है।

​वात, पित्त व कफ के डिस्टर्बेंस शुरू होती बीमारियां

इसलिए बारिश में आयुर्वेद के वात, पित्त और कफ त्रिदोषों को संतुलित रखने के लिए हमें अपना बचाव स्वंय करना होगा। खासतौर से तब जब हम पहले से ही कोविड जैसी महामारी का सामना कर रहे हों।

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