Heat or Cold therapy : गर्म या ठंडी, दर्द और सूजन को दूर करने लिए कौन सी सिकाई है बेहतर, जानें इनके प्रकार और इलाज का सही तरीका
भारत में तमाम तरह की चोटों के दर्द और सूजन को मिटाने के लिए गर्म और ठंडी सिकाई का प्रयोग किया जाता है। ये पारंपरिक तरीका प्रभावी भी है लेकिन आपको इसके लिए ये भी जानना जरूरी है कि किस चोट में ठंडी और किस दर्द को दूर करने के लिए गर्म सेक का इस्तेमाल करना चाहिए।
Heat therapy or Cold therapy: भारत में तमाम तरह की चोटों के दर्द और सूजन को मिटाने के लिए गर्म और ठंडी सिकाई का प्रयोग किया जाता है। ये पारंपरिक तरीका प्रभावी भी है लेकिन आपको इसके लिए ये भी जानना जरूरी है कि किस चोट में ठंडी और किस दर्द को दूर करने के लिए गर्म सेक का इस्तेमाल करना चाहिए।
DIS: Heat therapy or Cold therapy: भारत में कुछ दर्द और चोटों में आराम पहुंचाने के लिए गर्म और ठंडी सिकाई करना पुरानी परंपरा रही है। तमाम डॉक्टरों भी बर्फ की सिकाई या गर्म सिकाई की सलाह देते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, ठंडी और गर्म सिकाई कई तरीके दर्द, सूजन, सूजन और जकड़न को नियंत्रित करने में बेहद मददगार हो सकती है। ये पारंपरिक तरीका हमारे देश में किसी भी तरह के दर्द और चोट के इलाज के लिए यह एक प्रभावी और किफायती है।
कब अप्लाई करनी चाहिए हीट थेरेपी
- स्ट्रेन्स
- मोच
- पुराने ऑस्टियो आर्थराइटिस (घुटनों, कंधों, कोहनी व अंगुलियों के जोड़ों में ऊत्तकों का घिस जाना)
- कण्डरा (Tendons) में क्रोनिक इरीटेशन यानी जलन और कठोर हो जाना
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द
- गर्दन में दर्द
- पीठ की चोट के मामले में दर्द
ड्राय हीट (Dry heat): इसमें इलेक्ट्रिकल हीटिंग पैड, गर्म पानी की बोतलें जैसे प्रोडक्ट्स शामिल हैं। इन चीजों का प्रयोग आप 8 घंटे तक कर सकते हैं। इस तरह से सिकाई करना सभी के लिए आसान है। बोतल में गरम पानी भरो और जहां दर्द है वहां अप्लाई करते रहो। ठीक वैसे ही आप हीटिंग पैड को चार्ज करके दर्द वाली जगह पर सिकाई कर सकते हैं।
मोइस्ट थेरेपी (Moist heat): इसमें स्टीम्ड टॉबल यानी गर्म पानी में भीगी तौलिया, नम हीटिंग पैक या गर्म पानी से नहाने जैसे स्रोत शामिल हैं। यह शुष्क गर्मी की तुलना में अधिक प्रभावी है और रिजल्ट देने में भी कम समय लेती है।
शीत चिकित्सा (Cold Therapy) या क्रायोथेरेपी

यह सूजन और सूजन वाले जोड़ या मांसपेशियों का एक पारंपरिक उपचार है। घाव पर कभी भी सीधे बर्फ नहीं लगाना चाहिए क्योंकि नुकसान कर सकती है। ऐसे मामलों में कोल्ड थेरेपी बढ़िया विकल्प है।
कब आराम पहुंचाती है कोल्ड थेरेपी

- पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस
- ताजा चोट
- गाउट (गठिया)
- स्ट्रेन्स
- माइग्रेन
- एक्टिविटी के बाद Tendonsमें जलन
क्रायोथेरेपी प्रोडक्ट्स: इसमें आइस पैक, कूलेंट स्प्रे और आइस मसाज जैसे उत्पाद शामिल हैं।
क्रायो स्ट्रेचिंग: इसमें हम स्ट्रेचिंग के दौरान मांसपेशियों की ऐंठन को कम करने के लिए ठंडे तापमान का उपयोग करते हैं।
क्रायोकेनेटिक्स: इस प्रकार की कोल्ड थेरेपी और एक्टिव एक्सरसाइज को जोड़ती है। लिगामेंट मोच के मामले में यह एक प्रभावी मानी जाती है।
आइस बाथ: यह क्रायोथेरेपी का दूसरा रूप है।
बेहतर रिजल्ट के लिए आप एक तौलिये में लपेटे हुए आइस पैक को थोड़े समय के लिए दिन में कई बार चोट वाली जगह पर लगाएं। आपको कभी भी 20 मिनट से अधिक बर्फ नहीं लगानी चाहिए क्योंकि यह तंत्रिका, त्वचा और ऊतकों (nerve, skin and tissues) को नुकसान पहुंचा सकता है। दिल की बीमारी वाले लोगों को कोल्ड कंप्रेस लगाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अगर कोल्ड थेरेपी 48 घंटों के भीतर काम नहीं करती है, तो डॉक्टर से परामर्श लें।