विश्व में हिंदी भारतीय जीवन मूल्यों को प्रसारित करती है : प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल
वर्धा. हिंदी विश्व में भारतीय जीवन मूल्यों को प्रसारित करती है, यह विचार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने व्यक्त किये. वे विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर सोमवार 10 जनवरी, 2022 को ‘हिंदी का वैश्विक परिप्रेक्ष्य’ विषय पर तरंगाधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे.
इस कार्यक्रम में वक्ता के रूप में सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीरजा अरुण गुप्ता, अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एम. वेंकटेश्वर उपस्थित थे। कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि विश्व के विभिन्न देशों में हिंदी के विविध रूप हैं. इससे हिंदी को विश्व में पहचान मिली है. भारत से गिरमिटिया और प्रवासी के रूप में अन्य देशों में गये भारतीय वहाँ दूध और शक्कर की तरह घुल मिल गयी है. इस परंपरा में स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी की भी अनन्य भूमिका रही है. उन्होंने कहा कि हिंदी विज्ञान और तकनीकी की भाषा के रूप में विकसित होनी चाहिए. इस संदर्भ में हिंदी विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी बड़ी है और इस दिशा में हिंदी का बहुतर विस्तार करने के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है. उन्होंने आशा जताई कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी विश्व में अपना महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर लेगी.
सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीरजा अरुण गुप्ता ने कहा कि हिंदी विश्व स्तर पर सुदृढ़ और स्थापित हुई है. नेपाल, फीजी, सूरीनाम, स्पेन आदि देशों में हिंदी बोलने और समझने वालों की संख्या बहुत बड़ी है. इस दृष्टि से हिंदी विश्व भाषा बनने की दिशा में अग्रसर है. उन्होंने हिंदी का विश्व में विस्तार करने में हिंदी फिल्मों, समाचार चैनलों और भारतीय विद्या भवन की भूमिका को विस्तार से व्याख्यायित किया.
अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद के सेवा निवृत्त प्रोफेसर एम. वेंकटेश्वर ने कहा कि मारीशस, फीजी आदि महाद्वीपों में हिंदी के शिक्षण का विस्तार हुआ है. मीडिया, हिंदी विद्वान और रंगकर्मी आदि भी हिंदी के विस्तार के महत्वपूर्ण कारक बने हैं. उन्होंने कहा कि अन्य देशों के अलावा अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी हिंदी का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है. कार्यक्रम की विषय प्रस्तावना विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने रखी। उन्होंने कहा कि गिरमिटिया और रोजगार की दृष्टि से विश्व भर में काम के बहाने गए लोगों ने मातृ भाव, समर्पण और श्रद्धा से हिंदी को आगे बढ़ाया है. प्रो. शुक्ल ने हिंदी को और विस्तार देने वैश्विक स्तर पर सक्षम व्यवस्था बनाने पर बल दिया. कार्यक्रम का संचालन क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज के अकादमिक निदेशक प्रो. अखिलेश कुमार दुबे ने किया तथा साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अवधेश कुमार ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी जुड़े थे.