इतिहास का दस्तावेजीकरण तो होना ही चाहिए-डॉ.पाठक
इतिहास-रूंगटा परिवार कैरूवालों का विमोचित
बिलासपुर/मूलतः राजस्थान निवासी व्यवसायी,कवि लेखक राजेन्द्र रूंगटा द्वारा अपने पारिवारिक, सामाजिक पृष्ठभूमि पर आधारित कृति “इतिहास- रूंगटा परिवार कैरू वालों का” नगर में स्थित सांई आनंदम परिसर में एक गरिमामय कार्यक्रम में विमोचित हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं थावे विश्वविद्यालय पटना,बिहार के कुलपति डॉ.विनय कुमार पाठक ने इस अवसर पर कहा कि इतिहास की भाषा पृथक होती है,फिर भी अपनी गरिमा को समझने के लिए भाषा बाधित नहीं करती।पहले इतिहास को चारण,भाट, दरबारी कवियों द्वारा निरंतर पीढ़ी दर पीढ़ी समृद्धि,शौर्य को गाकर कथानक के अनुसार प्रगट किया जाता रहा है।वर्तमान समय में इतिहास का दस्ताज़वेजी कारण तो होना ही चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते वरिष्ठ साहित्यकार विजय तिवारी ने कहा कि रचनाएं तो हम कालजयी सृजित कर लेते हैं जो इतिहास काल के साथ लड़ा हो तथा स्वयं और समाज को स्थापित किया हो,उसका गौरवशाली इतिहास तो दर्ज होना ही चाहिए।
विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय चंद्रभूषण बाजपेयी जी एवं डॉ. राकेश मित्तल ह्रदय रोग विशेषज्ञ,पूर्व उपायुक्त अमृतलाल पाठक ने राजेंद्र रूंगटा को कृति प्रकाशन पर शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम का संचालन करते अधिवक्ता एवं साहित्यकार हरबंश शुक्ल ने अभ्यागतों और वक्ताओं को आमंत्रित करते कहा कि राजस्थान का स्वयं गौरवशाली इतिहास रहा है जिस पर केवल भारत ही नहीं विश्व में उसका इतिहास दैदीप्यमान है।
इस अवसर पर नगर के प्रमुख साहित्यकार बुधराम यादव,ओम प्रकाश भट्ट,मनीषा भट्ट,मयंक मणि दुबे,मनोहर दास मानिकपुरी रेखराम साहू, बसंत कुमार पांडेय ऋतुराज, डॉ.संगीता सिंह बनाफ़र,शोभा त्रिपाठी,कमल श्रीवास्तव,राकेश पांडेय,अशोक शर्मा,दिनेश तिवारी, अरविंद पांडेय, प्रमोद वर्मा रूंगटा परिवार के प्रदीप रूंगटा,विकास रूंगटा,मुकेश संघी, सुधीर अग्रवाल,शुभम् रूंगटा, स्पर्श संघी,राजेंद्र कुमार,हरि अग्रवाल, प्रमोद हारित आदि उपस्थित थे।
उक्त जानकारी संचालक हरबंश शुक्ल ने दी।