November 22, 2024

भाजपा को वास्तव में रोजगार की चिंता है तो पीएम आवास का घेराव करें

रायपुर. भाजपा द्वारा रोजगार को लेकर किए जाने वाले आंदोलन पर सवाल खड़ा करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कौन सी नैतिकता से भाजपा छत्तीसगढ़ में रोजगार को लेकर आंदोलन करने जा रही है? छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर देश में सबसे कम है देश की बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर 0.76 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में पिछले साढ़े तीन साल में 5 लाख युवाओं को रोजगार मिला है। छत्तीसगढ़ देश की अकेली सरकार है जिसमें आने वाले 5 साल में 15 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन किया है। प्रदेश में लगभग 13500 राजीव मितान क्लब का गठन करवा कर युवाओं को सामाजिक सरोकार से जोड़कर रोजगार सृजन का अवसर कांग्रेस की सरकार दे रही। इसके विपरित मोदी सरकार ने संसद के वर्तमान सत्र में बताया है कि उसने पिछले 8 साल में सिर्फ सवा सात लाख लोगो की नौकरियां दी है। जबकि आठ साल में बाईस करोड़ लोगो ने नौकरी के लिये आवेदन दिया था।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा द्वारा छत्तीसगढ़ में रोजगार को लेकर आंदोलन किया जाना बेशर्मी की पराकाष्ठा है। भाजपा को वास्तव में रोजगार और युवाओं की चिंता है तो वह बेरोजगारी को लेकर दिल्ली में आंदोलन करें और प्रधानमंत्री आवास का घेराव करें। मोदी ने 2014 से देश के युवाओं से वादा किया था हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देंगे अभी तक साढ़े आठ साल में 17 करोड़ युवाओं को रोजगार मिलना था रोजगार तो नहीं मिला मोदी के राज में 2.5 करोड़ युवाओं की लगी लुगाई नौकरी चली गयी। एक सर्वे के अनुसार मोदी सरकार के राज में लोगो में इतनी निराशा घर कर गयी है कि देश के 45 करोड़ लोगो को रोजगार मिलने की आशा करना ही छोड़ दिया है। देश में ऐसी अकर्मण्य सरकार चलाने वाले दल के लोग किस नैतिकता में छत्तीसगढ़ में रोजगार के लिये आंदोलन करने जा रहे है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य में भाजपा के 15 साल के सरकार में युवाओं के लिये सरकारी नौकरी भर्ती बंद कर दिये थे आउटसोर्सिंग के नाम पर सरकारी विभागो प्रदेश के बाहर के लोगो को आधी अधूरी तनख्वाह पर ठेके पर भर्तिया की जाती थी। आज छत्तीसगढ़ में रमन के 15 साल की तुलना में सरकारी नौकरी में भर्तियों का औसत प्रतिवर्ष तिगुना से भी अधिक है।

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