Imran Khan ने Indian Embassies की तारीफ क्या की, आग बबूला हो गए पाकिस्तानी; पूर्व विदेश सचिवों ने खोला मोर्चा
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने भारतीयों की तारीफ क्या की मुल्क में बवाल मच गया. पाकिस्तानियों, खासकर विदेश सेवा से जुड़े अधिकारियों को इमरान का बयान हजम नहीं हुआ है. उन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. दरअसल, पाक पीएम ने अपने दूतावासों को फटकार लगाते हुए उन्हें भारतीय दूतावासों (Indian Embassies) से सीखने की नसीहत दी थी. उन्होंने कहा था कि इंडियन एम्बेसी काफी अच्छा काम कर रही हैं. बस यही बात पाकिस्तानियों को पसंद नहीं आई है.
Tehmina Janjua ने उठाए समझ पर सवाल
इमरान खान के बयान की कम से कम तीन पूर्व विदेश सचिवों ने आलोचना की है. पाकिस्तान के इतिहास में पहली महिला विदेश सचिव रहीं तहमीना जंजुआ (Tehmina Janjua) ने इस संबंध में ट्वीट करके कहा, ‘विदेश मंत्रालय की इस अवांछित आलोचना से बहुत निराश हूं. पीएम की यह टिप्पणी उनकी विदेश सेवा के प्रति समझ की कमी को दर्शाती है’. इसी तरह, पूर्व विदेश सचिव सलमान बशीर (Salman Bashir) भी पाकिस्तान की विदेश सेवा के बचाव में उतर आए हैं.
‘आलोचना नहीं, सम्मान के हकदार’
सलमान बशीर ने ट्वीट करके कहा, ‘मान्यवर, विदेश मंत्रालय और राजदूतों के प्रति आपकी नाराजगी और आलोचना सही नहीं है. सामान्य तौर पर समुदाय की सेवा अन्य विभागों में निहित है जो पासपोर्ट और राजनयिक सत्यापन आदि का काम देखते हैं. हां, मिशन को अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए’. उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान विदेश सेवा और विदेश कार्यालय ने वह किया जो करना चाहिए और वह प्रोत्साहन और समर्थन का हकदार हैं.
India की बात से लगी मिर्ची
बशीर खासतौर पर खान द्वारा भारतीय राजनयिकों की प्रशंसा किए जाने से नाराज हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय मीडिया प्रधानमंत्री द्वारा पाकिस्तान की विदेश सेवा की आलोचना और भारतीय विदेश सेवा की प्रशंसा से प्रसन्न है. यह क्या तुलना है. एक अन्य पूर्व विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी ने भी खान के बयान को गलत बताया. उन्होंने कहा, ‘ माननीय प्रधानमंत्री जी, उम्मीद करता हूं कि आपको मिशन के काम करने की सही जानकारी दी जाएगी. डिग्री, विवाह प्रमाण पत्र, लाइसेंस आदि के सत्यापन के लिए उच्च शिक्षा आयोग, आंतरिक एवं प्रांतीय सरकारों को सत्यापित करने के लिए भेजा जाता है. समय से जवाब नहीं मिलने पर देरी होती है. राजदूतों को जिम्मेदार ठहराना गलत है.
क्या कहा था Imran ने?
अपने दूतावास कर्मचारियों को लेकर मिल रही शिकायतों पर नाराजगी व्यक्त करते इमरान खान ने कहा था कि राजदूतों को औपनिवेशिक दौर की मानसिकता को छोड़कर पाकिस्तानी मूल के लोगों के साथ पूरी संवेदना के साथ व्यवहार करना चाहिए और विदेशी निवेश लाने के प्रयास करने चाहिए. उन्होंने भारतीय दूतावासों की तारीफ करते हुए कहा था कि दुनियाभर में भारतीय दूतावास विदेशी निवेश लाने के लिए बहुत सक्रिय हैं.