2003 में भाजपा का वादा था प्रत्येक आदिवासी परिवार को जर्सी गाय देने का, दिए नहीं, अब साहीवाल गाय का नया जुमला

 

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा प्रदेश में 325 आदिवासी परिवारों को साहीवाल नस्ल की गाय देने के वायदे को झूठ प्रलोभन करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 2003 में भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में प्रदेश के आदिवासियों से ये वादा किया गया था कि प्रत्येक आदिवासी परिवार को 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय दिया जाएगा, 15 साल रमन सिंह की सरकार रही लेकिन दिए नहीं, उल्टा आदिवासियों से जल जंगल जमीन के अधिकार छीने गए। ग्राम सभा की फर्जी एनओसी लगाकर नंदराज पर्वत मोदी के मित्र अडानी को दे दिया गया। वर्तमान में पिछले डेढ़ साल से छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ के खास तौर पर पांचवी अनुसूची के क्षेत्र बस्तर और सरगुजा में संसाधन और वन संपदा छीनने का एक सूत्री कार्यक्रम डबल इंजन की सरकार चल रही है, और इन्हीं मुद्दों से ध्यान भटकने के लिए अब एक बार फिर प्रदेश के 325 आदिवासी परिवारों को साहीवाल नस्ल की दो-दो गाय देने का वादा किया जा रहा है।


प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि यदि इस सरकार की मंशा आदिवासियों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने की होती तो वनांचल में श्री अनाज कोदो कुटकी रागी उपजाने वाले आदिवासी किसानों को जो पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा 10000 हजार रुपए प्रति एकड़ के दर से इनपुट सब्सिडी की राशि दिया जा रहा था, उसको ये बंद नहीं करते। तेंदूपत्ता संग्राहको का बीमा योजना को भी भाजपा की सरकार ने बंद कर दिया है, छात्रावास और छात्रवृत्ति की राशि में भी कटौती कर आदिवासी छात्रों के हक का पैसा यह सरकार बेरहमी से छीनने का काम कर रही है। 2003 में तो भाजपा ने वादा किया था हर आदिवासी परिवार को 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय देंगे, बेरोजगारी भत्ता देंगे, प्रदेश के 20 हजार गांव में एक युवक और एक युवती को ग्राम प्रहरी नियुक्त करेंगे, 15 साल सरकार में रहे लेकिन इनको कभी अपना वादा याद नहीं रहा और अब अपनी गिरती साख को बचाने के लिए साहीवाल नस्ल का गए देने का झूठा प्रलोभन प्रदेश के आदिवासियों को दे रहे हैं।


प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार झांसे में फांस कर आदिवासियों के हक और अधिकतर छीनने का काम कर रही है। पांचवी अनुसूची के क्षेत्र में जहां पेसा कानून लागू है वहां पर ग्रामसभा के अधिकारों को बाईपास करके कॉरपोरेट को बस्तर, सरगुजा, रायगढ़ के संसाधन लुटा रहे हैं। हाल ही में बैलाडीला के आयरन ओर की दो खदाने आरसेलर मित्तल को, एक खदान रूगंटा ग्रुप और कांकेर के हाहालादी की खदान सागर स्टोन को 50 साल के लीज पर दे दिया गया। एनएमडीसी का नगरनार प्लांट निजी क्षेत्र को बेचने के लिए विनिवेशीकरण की साइट दीपम पर मोदी सरकार सेल लगाकर रखी है। बिना पर्यावरण अनुमति और ग्राम सभा के अनुमति के रातों-रात जंगल काटे जा रहे हैं, विरोध करने वाले आदिवासियों को या तो गोली मार दी जा रही है या फर्जी प्रकरण दर्ज कर जेल भेज दिए जा रहे हैं इसी डर से आदिवासी क्षेत्रों में युवा बड़ी संख्या में पलायन करने मजबूर हैं। भाजपा के अत्याचार से पूरे प्रदेश में आक्रोश है इन्हीं मुद्दों से ध्यान भटकने के लिए भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर छल और प्रलोभन की राजनीति कर रही है। यदि भाजपा की सरकार आदिवासी हितैषी है तो केवल 325 ही क्यों सभी 30 लाख आदिवासी परिवारों की समृद्धि के लिए काम करे।
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