इन हालातों में माता-पिता, संतान, जीवनसाथी ही बन जाते हैं दुश्मन, देते हैं बड़ी चोट
नई दिल्ली. सभी की जिंदगी में कभी न कभी उतार-चढ़ाव आते ही हैं. ये उतार-चढ़ाव ही अपनों और परायों की पहचान कराते हैं. महान कूटनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और राजनीति के ज्ञाता आचार्य चाणक्य ने भी अपनी जिंदगी में भी बेहद मुश्किल समय देखा. अपने अनुभवों और विद्वता को लेकर उन्होंने जो नीति शास्त्र लिखा है, वह आज भी बेहद प्रासंगिक है. उनकी बातें व्यक्ति को न केवल सुखमय, सफल जीवन देती हैं, बल्कि रिश्तों का भी गहरा ज्ञान देती हैं. आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में बताया है जिनमें अपने सगे रिश्ते भी दुश्मन बन सकते हैं.
दुश्मन बन जाते हैं मां-बाप, संतान
चाणक्य नीति में जिंदगी की कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में बताया है, जब अपने ही दुश्मन बन जाते हैं. ऐसी स्थिति में व्यक्ति खुद को बंधा हुआ महसूस करता है. वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता है.
– मां के प्रेम को दुनिया में सबसे पवित्र और निश्छल प्रेम माना गया है. लेकिन जब मां ही अपनी संतान के बीच फर्क करने लगे और कोई नुकसान पहुंचा दे तो ऐसे मां ही अपनी संतान के लिए बड़ी दुश्मन बन जाती है.
– पिता अपने बच्चों के सिर पर छत की तरह होता है, जो उन्हें हर दुख-तकलीफ से बचाकर दुनियादारी सिखाता है. लेकिन जब पिता ढेर सारा कर्ज ले और उसे न चुकाए. उस कर्ज का बोझ उसके बेटे पर आ जाए तो ऐसा पिता अपनी संतान के लिए ही दुश्मन की तरह हो जाता है. कर्ज का बोझ बेटे की जिंदगी को दुश्वार बना देता है.
– शिक्षित, चरित्रवान, समझदार पत्नी जिसे मिले, वह पुरुष बेहद सौभाग्यशाली होता है लेकिन पत्नी यदि पर-पुरुष की ओर आकर्षित हो जाए तो ऐसी स्थिति में वह अपने पति-बच्चों और पूरे परिवार के लिए बदनामी का कारण बनती है. इन हालातों में परिवार बिखर सकता है.
– इसी तरह प्यार-सम्मान देने वाला चरित्रवान पति मिलना पत्नी के लिए सौभाग्य की बात होती है. लेकिन पति किसी नशे का शिकार हो जाए या दूसरी महिला से संबंध बना ले तो वह अपनी पत्नी के लिए शत्रुवत हो जाता है.
– आज्ञाकारी, शिक्षित, संस्कारी संतान अपने माता-पिता के लिए बेहद अनमोल होती है. वहीं जब संतान मूर्ख, बुरी संगत करने वाली, लत की शिकार हो जाए तो वह कई शत्रुओं से ज्यादा दुख देती है.