आध्यात्म-संस्कृति के बिना भारतीय साहित्य की रचना नहीं-डॉ.पाठक
“सुमिरन” भजन संग्रह विमोचित
भजनों की संगीतमय प्रस्तुति
बिलासपुर. वरिष्ठ साहित्यकार व छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.विनय कुमार पाठक ने कहा कि कई लोग भजन को साहित्य नहीं मानते पर भारतीय संस्कृति में आध्यात्म और संस्कृति के बिना यदि कोई साहित्य रचा रहा है तो वह भारतीय साहित्य नहीं हो सकता। भक्ति की परिभाषा बताते हुए कहा कि श्रद्धा + प्रेम = भक्ति होती है। उन्होंने कहा कि मदन सिंह ठाकुर के भजन संग्रह “सुमिरन” के भीतर सारे 10 भाव-अंतर्भाव समाहित हैं। मदन लोक के साथ ही अपने परलोक को भी संवार रहे हैं।
“सुमिरन” के विमोचन समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार विजय तिवारी ने कहा कि तीन सर्वश्रेष्ठ कला-वादन,गायन और लेखन को माना गया है। मदन सिंह में वे तीनों कलाएं विद्यमान हैं, जो दुर्लभ है लेकिन उन्हें अपने भजनों को लयबद्ध करने की दृष्टि से थोड़ा सुधारना होगा।
विशिष्ट अतिथि व वरिष्ठ साहित्यकार केशव शुक्ला ने कहा कि मदन ने राधा-कृष्ण के भजन लिख बहुत बड़ा काम किया है। उन्हें और भी देवी-देवताओं के भजन लिखने चाहिए। विशिष्ट अतिथि और किताब की भूमिका लिखने वाले अंजनी कुमार तिवारी “सुधाकर” ने भजन संग्रह की तारीफ़ करते हुए इसे अच्छी शुरुआत बताया।
इस दौरान मदन सिंह ने सुमिरन भजन संग्रह के 6 भजनों की प्रस्तुति भी दी। श्रोताओं ने उनके गायन-वादन की तारीफ की। उन्होंने अतिथियों का शाल व श्रीफल से सम्मान किया। बुक क्लिनिक पब्लिशिंग के कार्यालय में आज शाम आयोजित कार्यक्रम का संचालन हरबंश शुक्ला ने किया।
इस दौरान डॉ.ए.के.यदु ,ओम प्रकाश भट्ट,शोभा त्रिपाठी,मयंक मणि दुबे,अमृत लाल पाठक , अशरफी सोनी,हितेश सिंह बिसेन,सुनील प्रकाश एवं बुक्स क्लिनिक के कर्मचारी,आदि मौजूद थे।