महंगाई और मारेगी! मोदी सरकार का चुनाव जीतने पर पूरा ध्यान
नई दिल्ली. भाजपा और उसकी सोशल मीडिया सेल हिंदुस्थान के विकास का ढोल पीट कर जनता को भरमाने का प्रयास कर रही है। लेकिन हिंदुस्थान के हालातों पर फोकस करनेवाली अमेरिकी रेटिंग एजेंसी ने हिंदुस्तान की पोल खोल दी है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने बीते दिनों जीडीपी के आंकड़े जारी कर बताया था कि २०२३-२४ की पहली तिमाही अप्रैल-जून में विकास दर ७.८ फीसदी रही है और इस विकास दर का ४ तिमाहियों में सबसे ज्यादा रहने का दावा किया था। ज्यादातर इकनॉमिस्ट ने भी ७.७ फीसदी तक विकास दर का अनुमान लगाया था। लेकिन अमेरिकी रेटिंग एजेंसी फिच ने इस साल के अतं तक हिंदुस्थान में महंगाई के और बढ़ने की आशंका जता कर टेंशन बढ़ा दिया है।
फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास ग्रोथ अनुमान को ६.३ प्रतिशत पर बरकरार रखा, लेकिन इसके साथ-साथ अल नीनो इफेक्ट के खतरे के कारण साल के अंत में मुद्रास्फीति यानी महंगाई के और बढ़ने की आशंका भी जताई है। ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक के सितंबर अद्यतन में फिच ने कहा कि उच्च आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि की गति धीमी होने की आशंका है।
गौरतलब हो कि फिच ने वर्ष की दूसरी तिमाही अर्थात जुलाई से सितंबर के लिए वृद्धि की रफ्तार के कम होने का अनुमान व्यक्त किया है। फिच ने कमजोर निर्यात क्षमता को इसकी वजह बताया है। इसके अलावा, ऋण वृद्धि स्थिर होने की और उपभोक्ता आय व रोजगार के घटने की संभावना भी फिच ने व्यक्त की है। कीमत के मोर्चे पर, फिच ने कहा कि आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में अस्थायी वृद्धि होगी, विशेष रूप से खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने से घरेलू खर्च में और कमी आ सकती है। वैश्विक आर्थिक मंदी का असर हिंदुस्थान पर भी पड़ेगा। फिच ने कहा कि आरबीआई की २५० बीपीएस बढ़ोतरी का विलंबित प्रभाव घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, जबकि खराब मानसून का मौसम आरबीआई के मुद्रास्फीति नियंत्रण को जटिल बना सकता है। वार्षिक सकल मुद्रास्फीति जुलाई में ७.४ प्रतिशत और जून में ४.९ प्रतिशत के बाद अगस्त में ६.८ प्रतिशत थी। फिच ने कहा कि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के जोखिम के बावजूद, साल के अंत के लिए रिजर्व बैंक का बेंचमार्क ब्याज दर का पूर्वानुमान ६.५ प्रतिशत पर बना हुआ है।