छुट्टियां मनाने परिवार के साथ Italy गया था मासूम, Pasta खाने से हुई मौत


लंदन. छुट्टी के दौरान पास्ता की एक प्लेट खाने से हुई एलर्जी किसी की जान तक ले सकती है. ऐसी किसी घटना के बारे में आपने शायद ही सुना हो. लेकिन ये हकीकत है जहां एक 7 साल के बच्चे की एलर्जी की वजह से मौत हो गई. इस मामले में संबंधित रेस्टोरेंट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की गई है. घटनाक्रम का खुलासा लंदन से हुआ जहां एक ब्रिटिश स्कूली छात्र के परिवार ने अपने बच्चे की दुखद मौत को जीवन का सबसे बुरा दिन बताया है.

रेस्टोरेंट कर्मियों की लापरवाही?

सात साल का कैमरून वाहिद (Cameron Wahid ) इटली (Italy) में छुट्टियां मनाने गया था. जहां अमाल्फी तट पर रेवेलो शहर ( Ravello City) के एक रेस्तरां में दूध से बना पास्ता खाने से उसकी हालत खराब हो गई. उसकी तबीयत इतनी बिगड़ी की उसकी मौत हो गई. जबकि परिवार वालों ने उस रेस्टोरेंट के कर्मचारियों को बच्चे की गंभीर एलर्जी के बारे में चेतावनी देते हुए कहा थी कि उस बच्चे की डिश में चीज, पनीर या किसी भी तरह का डेयरी उत्पाद नहीं होना चाहिए. वहीं स्टाफ ने उनके अनुरोध को नहीं समझा लेकिन ये भरोसा दिलाया कि उनका भोजन सुरक्षित है.

नर्स मां नहीं बचा पाई जान

कैमरून अपनी मां कैसेंड्रा, पिता रिजवान और छोटे भाई एडन के सामने पास्ता खाने के बाद वहीं गिर पड़ा. ये परिवार अन्य ब्रिटिश पर्यटकों के साथ अपनी टूरिस्ट बस में वापस आने के कुछ मिनट बाद तब सदमें में आ गया जब उसे थोड़ी ही देर बाद दिल का दौरा पड़ा. बच्चे की मां एक नर्स थीं जिन्होंने बेटे को फौरन एपिपेन (EpiPen) नामक दवा देने में कामयाब रही, लेकिन 3 दिन बाद 30 अक्टूबर, 2015 को नेपल्स के करीब एक अस्पताल में उस स्कूली बच्चे की मौत हो गई.

परिवार ने लड़ी लंबी कानूनी लड़ाई

उनकी मृत्यु के बाद, परिवार ने ला मार्गेरिटा विला ग्यूसेपिना रेस्तरां के खिलाफ एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. तब रेस्टोरेंट के एक वेट्रेस एस्टर डि लासियो को सितंबर 2019 में इटली की एक कोर्ट ने गैर-इरादतन हत्या का दोषी पाया था. अदालत ने कहा था कि आरोपी ने अपने रेस्तरां के मेनू में मौजूद व्यंजनों में इस्तेमाल खाद्ध सामग्री के कारण होने वाली एलर्जी के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दी थी.

रिपोर्ट के मुताबिक कैमरून को जो पास्ता टोमैटो सॉस के साथ परोसा गया था उसे शेफ लुइगी सिओफी ने दूध के साथ तैयार किया गया था. हालांकि अदालत ने बाद में उसे दोष मुक्त कर दिया था. वहीं वेस्ट ससेक्स निवासी इस परिवार को कोर्ट ने 2,88,000 यूरो का मुआवजा दिलवाया था. सोशल मीडिया के जरिए जब ये दुखभरी कहानी सामने आई तो कई लोगों ने भावुक होते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी.

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