भारतीय संस्‍कृति का मूल आधार है एकात्‍म और वैविध्‍य :  आरिफ मोहम्‍मद खान


वर्धा. केरल के राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान ने कहा है कि एकात्‍म और वैविध्‍य भारतीय संस्‍कृति का मूल आधार है। श्री खान आज पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय की जयंती पर महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा द्वारा शनिवार,  25 सितंबर को ‘एकात्‍म मानववाद की सभ्‍यता दृष्टि : वैश्विक साम्‍प्रदायिकता का एकमात्र विकल्‍प’ विषय पर आयोजित ऑनलाइन एवं ऑफलाइन कार्यक्रम में विशेष व्‍याख्‍यान दे रहे थे। आज़ादी के अमृत महोत्‍सव वर्ष में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्‍यक्षता विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने की।

राज्‍यपाल आरिफ मोहम्‍मद खान ने कहा कि एकात्‍म मानववाद हमारी संस्‍कृति की नींव का पत्‍थर है। हम आत्‍मा के माध्‍यम से एक दूसरे से जुडे़ हुए हैं। भारत ने विविधता को स्‍वीकार ही नहीं किया है बल्कि उसे सम्‍मान भी दिया है। मानव प्रेम हमारी चेतना का आधार है। हमारे सारे ग्रंथों का सार परोपकार है।

उन्‍होंने पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय को उद्धृत करते हुए कहा कि धर्म मंदिरों और मस्जिदों तक ही सीमित नहीं है। मंदिर, मस्जिद पंथ का निर्माण तो करते हैं, धर्म का नहीं। धर्म बहुत व्‍यापक परिप्रेक्ष्‍य को समेटे हुए है। श्री खान ने कहा कि नस्‍ल, भाषा, लिंग और आस्‍था पद्धति में विभेद ही वैश्विक साम्‍प्रदायिकता है। अफगानिस्‍तान की घटनाओं का संदर्भ लेते हुए राज्‍यपाल ने कहा कि आतंकवाद, महिलाओं पर अत्‍याचार का मानस रखने वाले पूरी दुनिया के लिए खतरा पैदा करते हैं। उन्‍होंने कहा कि कोविड काल में आतंकवादजनित असुरक्षा एवं शांति व्‍यवस्‍था के अभाव में लगभग सौ देशों में कोरोनारोधी वैक्सिन नहीं दी जा सकी।

कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा कि संपूर्ण विश्‍व सभ्‍यता एक नए प्रकार के खतरे से जूझ रही है। उपासना पंथ के माध्‍यम से लोगों का विभाजन करने का राजनय चल रहा है। उपासना पंथों में जो भी श्रेष्‍ठ है, उसे जीवन का हिस्‍सा बनाकर पूरी दुनिया में शांति लायी जा सकती है। भारत की दृष्टि मूल रूप से समग्रता में सोचने की है। एकात्‍म मानववाद का दर्शन मनुष्‍य को समग्रता में देखता है। एकात्‍म मानववाद की यह दृष्टि पूरे विश्‍व के लिए कल्‍याणकारी है। कार्यक्रम की शुरुआत संस्‍कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. जगदीश नारायण तिवारी के मंगलाचरण से हुई। प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल ने स्‍वागत वक्‍तव्‍य दिया। प्रतिकुलपति डॉ. चंद्रकांत रागीट ने धन्‍यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान ने किया। तुलसी भवन के गालिब सभागार में आयोजित इस ऑफलाइन और ऑनलाइन कार्यक्रम में विश्‍वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों एवं विद्यार्थियों ने भारी संख्‍या में भाग लिया। कार्यक्रम का सजीव प्रसारण गूगल मीट, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर किया गया।

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