Interview – सूफी संगीत ऐसा संगीत है जो इंसान को भगवान से जोड़ने का माध्यम बनता है : सूफी गायक गिरीश साधवानी
सूफी संगीत ऐसा संगीत है जो इंसान को भगवान से जोड़ने का माध्यम बनता है। भारत में या यूं कहें कि पूरे एशिया में सूफी संगीत की नीव डालने वाले हजरत ख्वाजा गरीब नवाज मोइनुद्दीन चिश्ती है। आज के दौर में भी जो भी हम संगीत सुन रहे हैं। वह सूफी संत हजरत अमीर खुसरो की ही देन है। चाहे फिर वह शास्त्रीय संगीत हो गजल हो कव्वाली हो या जिसको आज पाश्चात्य संगीत यानी फिल्मी संगीत कहा जाता है वह भी अमीर खुसरो के संगीत की ही एक धरोहर है।
प्रश्न . भारत में सूफी गायक जो प्रसिद्ध फिल्मों में काम कर चुके हैं। उनका जरा थोड़ा विवरण दें। आप भी आने वाले समय में फिल्मों में काम करने वाले हैं, आपका ध्यान किस तरह के संगीत पर होगा।
उत्तर. भारतीय फिल्म संगीत में शंकर शंभू जैसे कव्वाली गाने से लेकर और रिचा शर्मा जसपिंदर नरूला जय जावेद अली और ए आर रहमान जैसे कलाकारों ने अपना योगदान दिया है। सूफी संगीत के माध्यम से भी जहां तक मेरी अपनी पर्सनल बात है तो मैं सूफी गायक हूं और अपने आप को सुफी ही कहलाना पसंद करता हूं। सूफी के साथ साथ में संगीत के अलग फॉर्म्स को जरूर करता हूं। मेरा जो अपना जो मेरी अपनी जमीन है। वह सूफी है। मेरी अपनी एक छोटी सी कंपनी है। जिसका नाम है 9emotions®Media और हम एक प्रोडक्शन हाउस है एक कंपनी है। अब एक कंपनी के पास जब कोई काम आता है करने के लिए तो उसे फिर हर तरह के का काम करना होता है। चाहे फिर वह आप हो चाहे contemporary हो बॉलीवुड हो अपनी बात है। मैं जब भी जो भी अपनी तरफ से एक व्यक्ति विशेष के रूप में जब भी अपना कॉन्ट्रिब्यूशन दूंगा। बॉलीवुड को वो सुफी संगीत क्षहोगा ना कि कोई और संगीत होगा।
प्रश्न. आजकल कई टीवी चैनल में इंडियन आईडल शो जैसे चल रहे हैं। उसमें संगीत दूसरे प्रकार का है। आपको लगता है कि टीवी चैनल्स को भी सूफी प्रोग्राम के ऊपर कोई ऐसा प्रोग्राम बनाएं। जिससे नए कलाकार चाहे वह मुंबई के हूं। दिल्ली के हूं रायपुर छत्तीसगढ़ और नागपुर के या पंजाब के भी हो सकते हैं। ऐसा आपको लगता है कि कोई प्रोडक्शन हाउस इस तरह का प्रोग्राम बनाना चाहिए।
उत्तर. जी बिल्कुल आप एकदम दुरुस्त कह रहे हैं मैं आपकी बात से सहमत हूं हमारे देश के जितने भी राज्य हैं छोटे से छोटे गांव से और इलाकों से और प्रतिभाशाली गायक को और गायिका को आगे आना चाहिए और अपना-अपना संगीत जो है अपनी-अपनी जो कला है। उसे सूफी संगीत के जरिए पेश करना चाहिए।