November 22, 2024

West Bengal में अभी भी जारी है ‘खेला’, BJP कार्यकर्ता के परिवार को दी गई पैतृक गांव छोड़ने की धमकी!


कोलकाता. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वर्कर्स पर हमले का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. आलम ये है कि राज्य सरकार अब बीजेपी कार्यकर्ता के परिवार को अपना पैतृक तक घर छोड़ने पर मजबूर करने लगी है.

गांव छोड़कर जाने की दी धमकी

पूरा मामला बर्दवान शहर के आलमगंज इलाके का है, जहां तृणमूल कांग्रेस (Trinmool Congress) पार्टी से जुड़े कुछ लोगों ने ना सिर्फ बीजेपी कार्यकर्ता नवीन सरकार (Naveen Sarkar) की मां के साथ बदसलूकी की, बल्कि उन्हें परिवार समेत जल्द से जल्द गांव छोड़कर चले जाने की धमकी भी दी. इस दौरान नवीन की मां ने टीएमसी के लोगों के सामने हाथ जोड़कर उन्हें गांव से ना निकालने की विनती की, लेकिन उनका मन नहीं पिघला, और वो जल्द गांव खाली करने की धमकी देते हुए वहां से चले गए.

जबरन मकान खाली कराकर घर से निकाला

बीजेपी कार्यकर्ता नवीन सरकार का परिवार पिछले 35 सालों से संतोष गिरी नाम के एक शख्स के घर में किराए पर रहता है. नवीन की मां सुजाता सरकार ने बताया, ‘मेरा बेटा चुनाव के बाद से ही घर छोड़ के भाग गया. इसके बाद से ही हमने लोगों के घर पर काम करके जैसे तैसे अपना परिवार पाला. लेकिन अब टीएमसी के नेता घर छोड़ने पर मजबूर कर चुके हैं. जबरन किराए का मकान भी खाली करा लिया है. मजबूरी में अब मुझे अपना सारा सामान लेकर पड़ोसी के घर पर रहना पड़ रहा है.’

चुनाव के दौरान नवीन पर हिंसा का आरोप

तृणमूल कांग्रेस की नेत्री मिठू सिंह ने बताया, ‘हाल ही में इलाके के अन्य बीजेपी कार्यकर्ताओ को किसी प्रकार की परेशानी के बिना तृणमूल की तरफ से उन्हें घर वापस लाया जा चुका है. लेकिन नवीन सरकार चुनाव के पहले एवं चुनाव के दिन हाथ में रिवॉल्वर लेके हिंसा की है. इसीलिए ऐसे बदमाश की इस इलाके में कोई जगह नहीं. नवीन का परिवार पूरे सम्मान के साथ अपने घर पर ही है. उनके परिवार के प्रति किसी तरह की धमकी या घर छोड़ने के लिए मजबूर करने के लिए नहीं बोला गया है, और न ही ऐसी शिक्षा तृणमूल किसी को देती है.’

हाई कोर्ट तक पहुंच गया मामला

हालांकि बीजेपी नेता कल्लोल नंदन ने बताया कि, ‘जब उन्हें घर से निकाल दिया और ताला लगा दिया. उसके बाद फिर से प्रशासन की मदद से ताला खोल दिया. लेकिन फिर से 15 दिन में घर खाली करने का नोटिस दिया. मामला हाई कोर्ट (High Court) में है, और कोर्ट बड़ा कोई भी तृणमूल का नेता नहीं है.

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