April 11, 2021
रासायनिक खादों के दामों में की गई वृद्धि वापस लेने किसान सभा ने की मांग

उन्होंने कहा कि यह वृद्धि ऐसे समय की गई है, जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी आई है और इसके बावजूद देश के किसान डीजल व अन्य कृषि आदानों की बढ़े हुए दामों के कारण और अनियोजित लॉक डाउन के चलते दोहरे आर्थिक संकट की मार झेल रहे हैं। इस वृद्धि से स्पष्ट है कि मोदी सरकार किसानों की आय को दुगुनी करने के बजाए कृषि लागत को दुगुनी करने की नीति पर चल रही है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में जारी इफको के एक परिपत्र के अनुसार गैर-यूरिया रासायनिक खादों के दाम में 45 से 60% तक की वृद्धि की गई है। मीडिया को इस मूल्य वृद्धि का चार्ट जारी करते हुए किसान सभा नेताओं ने कहा है कि इससे 50 किलो वाली डीएपी बैग की कीमत 1200 रुपये से बढ़कर 1900 रुपये हो गई है तथा एनपीके 1183 रुपये की जगह 1800 रुपये में मिलेगी। इसी प्रकार, 45 किलो वाले नीम कोटेड खाद के बोरे की कीमत 925 रुपये से बढ़कर 1350 रुपये हो गई है। किसान सभा नेताओं ने कहा कि एक ओर तो मोदी सरकार सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने से इंकार कर रही है, वहीं दूसरी ओर खाद कंपनियों द्वारा अनाप-शनाप मुनाफ़ा बटोरने पर भी रोक लगाने के लिए तैयार नहीं है।