November 23, 2024

औषधीय पौधों का ज्ञान स्वस्थ्य जीवन की पहचान

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के सहयोग से परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ छत्तीसगढ़ द्वारा 13 लाख औषधीय पौधों का वितरण किया जाएगा,यह जानकारी बोर्ड के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य जैव-विविधता का धनी राज्य है परन्तु सदियों से जंगलों से जड़ी बूटियां निकाली जा रही है। वर्तमान परिवेश में औषधीय पौधों व  इनसे निर्मित आयुर्वेद औषधि की मांग में बेतहाशा वृद्धि दर्ज हुई है, इसलिए मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन की मंशा अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य सरकार इनके संरक्षण संवर्धन एवं कृषिकरण हेतु उचित वातावरण निर्माण के लिए होम हर्बल गार्डन योजना के तहत औषधीय पौधों का ज्ञान स्वस्थ्य जीवन की पहचान के लिए निशुल्क औषधीय पौधों का वितरण सुनिश्चित करने हेतु परंपरागत वैद्यों के माध्यम से  सुनिश्चित किया गया है। पारंपरिक वैद्यों को प्राचीन काल से ही पीढ़ी दर पीढ़ी जड़ी बूटियों आधारित उपचार पद्धति का ज्ञान है और इन जड़ी-बूटियों के गुण महत्व उपयोग की जानकारी है बोर्ड के माध्यम से सरल सहज रूप में आम जनमानस को घर घर औषधीय पौधों का वितरण 25 जुलाई से अक्टूबर माह तक किया जाएगा यह पौधें घरों के बाडी गमलों में लगाएं जा सकतें हैं।और किसान भाइयों को इनकी पहचान और मांग आधारित औषधीय पौधों की महत्वपूर्ण जानकारियां से भी अवगत कराया जाएगा ताकि इन औषधीय पौधों के कृषिकरण का अनुकूल वातावरण निर्माण बन सकें। परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ छत्तीसगढ़ के प्रांतीय सचिव निर्मल अवस्थी ने कहा कि राज्य सरकार की यह अनुकरणीय पहल है छत्तीसगढ़ राज्य की लोक स्वास्थ्य परंपरा संवर्धन के पुनरुत्थान हेतु वर्तमान में आम जनमानस की रोग-प्रतिरोधक क्षमता विकास में यह औषधीय पौधों की घर घर उपलब्धता आरोग्य जीवन हेतु राज्य सरकार की सराहनीय योजना है। वैद्य संघ ने गिलोय,अडूसा, चिरायता, ब्राम्ही,घृत कुमारी, कुलंजन मंडूपपर्णी, बच,पत्थरचट्टा पाषाणभेद ,निर्गुंडी, स्टीविया, गुड़मार, कालमेघ, तुलसी, अश्वगंधा, सतावर, लगभग 16 औषधीय पौधों की प्रजातियों के पौधे तैयार किए गए हैं।इनका भौतिक सत्यापन पश्चात निशुल्क वितरण किया जाना है। सर्दी-खांसी बुखार,उदर रोग,पथरी,गठिया वात, मधुमेह, महिला रोग,बबासीर आदि लोगों के उपचार में सहायक औषधीय पौधे है। अवस्थी ने कहा कि मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन ने फसल चक्र की परिवर्तन की दिशा में धान के अलावा अन्य फसलों हेतु अतिरिक्त 10 हजार रुपए की अनुदान राशि देने हेतु घोषणा की है,कोविड 19 की वजह से आयुर्वेदिक औषधियों की मांग बढ़ रही है जिससे गिलोय,अडूसा,सर्पगंधा,सतावर तुलसी, कालमेघ, अश्वगंधा, कुलंजन ब्राम्ही आदि की हर्बल बाजार में निरंतर मांग बनी हुई है, ऐसे समय में किसान भाइयों को इन औषधीय पौधों की पहचान और कृषिकरण हेतु उचित वातावरण निर्माण में यह योजना सफल हो सकती है।

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