March 18, 2021
बड़ों को छोड़िए बच्चों में भी हो रहा है Back Pain, नजरअंदाज किया तो सर्जरी की आ सकती है नौबत
कमर और गर्दन दर्द से पहले व्यस्क एवं बुजुर्ग परेशान दिखाई देते थे। लेकिन आज यह समस्या स्कूल जाने वाले बच्चों को भी हो रही है। सही समय पर उपचार ना कराने पर यह दोनों ही समस्याएं भयंकर बीमारी का रूप लेना शुरू कर रही हैं।
आज कल के समय में पीठ दर्द एक महामारी की समस्या बनकर उभरता जा रहा है। पहले जहां इस समस्या से बड़े परेशान थे, अब इस महामारी का बच्चे शिकार हो रहे हैं। पहले इस समस्या के लिए स्कूल बैग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, जबकि अब इस समस्या के पीछे की वजह ऑनलाइन क्लास को ठहराया जा रहा है। लेकिन इस बीच सवाल वही का वही बना हुआ है। आखिर ऐसा हो क्यों रहा हैं, क्यों बच्चे इतनी जल्दी इन समस्याओं में फंसते जा रहे हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो इसके लिए आजकल की जीवनशैली भी बहुत हद तक जिम्मेदार है। चाहे बच्चे हों या बड़े वह लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठे रहते हैं और घंटों तक कंप्यूटर या मोबाइल पर लगे रहते हैं, जिसकी वजह से कमर पर अधिक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा बाद में यह समस्या गर्दन तक भी पहुंचती है और सर्वाइकल जैसी बीमारी बन जाती है। हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जो अधिक डराने वाली है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 13 साल से कम उम्र के लगभग 68 प्रतिशत बच्चे इस समस्या का शिकार हो गए हैं। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों की कमर दर्द और शारीरिक समस्या को कब गंभीरता से लेना चाहिए यह समझना होगा।
एक अच्छी जीवनशैली और थोड़ी बहुत एक्सरसाइज के जरिए पीठ दर्द से राहत पाई जा सकती है। ऐसे में जब किसी व्यस्क को यह समस्या होती है तो वह आसानी से अपनी परेशानी बता सकता है। लेकिन बच्चों के मामले में ऐसा कम ही होता है। वह अक्सर इस तरह के दर्द को नजरअंदाज करते दिखाई देते हैं। ताकि दवाइयों से बचना पड़े। लेकिन अभिभावक के तौर पर आपको बच्चों को हो रही पीठ दर्द और गर्दन के दर्द के लक्षणों का समझना होगा। हालांकि पीठ दर्द के बहुत से कारण हो सकते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं, लंबे समय तक स्कूल में बैठे रहना, गैजेट्स का उपयोग करते समय गलत पोजीशन में बैठना, खेल कूद या फिजिकल एक्टिविटी को तवज्जो ना देना। इन सभी कारणों को माता पिता को समझना होगा और उन्हें ठीक करने में बच्चों की सहायता करनी होगी।
बच्चों को होने वाला यह पीठ दर्द आमतौर पर गलत तरह से बैठने और खराब जीवनशैली के कारण होता है। इस दर्द को ठीक करने के लिए आपको केवल इस बात का ध्यान रखना है कि आपका बच्चा एक सही मुद्रा में बैठें और थोड़ी बहुत खेल कूद या एक्सरसाइज करें। इसके अलावा मैकेनिकल बैक पेन का कारण लंबे समय तक बिस्तर पर बैठकर पढ़ना और अधिक समय तक स्लाउच करते रहना भी है। इसके अलावा कंप्यूटर की जगह लैपटॉप को टेबल पर देखने से भी यह समस्या होने लगती है। क्योंकि इस दौरान स्क्रीन को देखने के लिए गर्दन झुका कर रखनी पड़ती है। ऐसे में एक सही स्टडी टेबल का उपयोग करना और लैपटॉप की जगह कंप्यूटर की उपयोग करने से इस समस्या से बचा भी जा सकता है और राहत भी पाई जा सकती है।
पीठ दर्द के कुछ कारणों में एक हैं लंबे समय तक मोबाइल पर चैट करना, और एक ही मुद्रा में बैठे रहना। इसके अलावा स्टडी टेबल अधिक देर तक कमर झुका कर बैठना या झुक कर चलना। साथ ही लंबे समय तक सिस्टम पर काम करना जिसकी वजह से या तो गर्दन के पीछे अधिक फैट जमा होने लगता है या फिर कमर दर्द की समस्या उभरने लगती है। ऐसे में माता पिता की जिम्मेदारी है कि उनकी बैठने की मुद्रा पर ध्यान रखें और बाहर जा कर खेलने के लिए उन पर जोर दें।
ऐसे बच्चे जो जिमनास्टिक, रेसलिंग, डाइविंग, फुटबॉल और हॉकी जैसे खेल से जुड़े हुए हैं। इस तरह के खेल कमर पर अधिक स्ट्रेस पड़ता है जिसकी वजह से Spondylolisthesis नाम की समस्या हो सकती है। इस समस्या में जब व्यक्ति आगे की ओर झुकते हुए दर्द होता है। वही स्ट्रेचिंग के दौरान तो यह और भी भयंकर होने लगता है। आगे चल कर इस समस्या में रीढ़ की एक कशेरुका निचली कशेरुकाओं पर खिसकने लगती है। इसकी वजह से नसों पर भी दबाव पड़ता है।
कंधों के बीच दर्द
अगर आपका बच्चों कंधों के बीच दर्द की शिकायत करता है तो इसका कारण खेलते समय कोई चोट भी हो सकती है। इसके अलावा रीढ़ की हड्डी की सूजन और पोस्ट्युरल तनाव भी इस दर्द का कारण हो सकता है। इस दर्द को नजरअंदाज करना आपकी बड़ी भूल हो सकती है। इसलिए इसे हल्के में ना लें। इस तरह की समस्या होने पर तुरंत स्पाइन विशेषज्ञ से जांच कराएं। ताकि यह समस्या और अधिक गंभीर ना हो।
अगर रीढ़ की हड्डी के आस पास किसी तरह की सूजन और दर्द है, या बुखार है। इसके अलावा अचानक बच्चे का वजन कम हो रहा है तो माता पिता को सावधान होने की जरूरत है। आमतौर पर समस्याओं से निपटने के लिए माता पिता या तो किसी पेन किलर दवाई का उपयोग करते हैं या फिर किसी क्रीम का। लेकिन यह दोनों ही उपाय इस समस्या का निवारण नहीं कर सकते। इसलिए बेहतर होगा की इस समस्या के लिए आप किसी विशेषज्ञ से जाकर मिले।
आपने अक्सर बहुत से लोगों की कमर के ऊपर के भाग को हल्के गोल आकार में देखा होगा। कुछ लोगों की ऐसी कमर जन्म से होती है तो कुछ को इंफेक्शन की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। ऐसे में अगर ऊपरी कमर गोलाकार होने में वृद्धि हो रही है तो इसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
इंफेक्शन या ट्यूमर
10 साल की उम्र से छोटे बच्चों की पीठ की दर्द की समस्या किसी संक्रमण के कारण हो सकती है। यह ट्यूबरकुलर और बैक्टीरिया के कारण हो सकता है। कई बार रीढ़ की हड्डी में इस तरह का दर्द ट्यूमर की वजह से भी हो सकता है। इसलिए इस स्थिति में डॉक्टर को दिखाना सही रहता है।
अगर बच्चा किसी तरह के स्पोर्ट्स से जुड़ा है तो एक ही मसल्स का बार बार प्रयोग करने से भी मांसपेशियों में दिक्कत आ सकती है। यह समस्या दर्द का कारण बन सकती है।
स्लिप डिस्क यह दर्द बच्चों को होने का बहुत कम चांस रहता है। यह दर्द इस तरह का होता है जैसे की पैर में करंट दौड़ा दिया गया हो।
- माता पिता इस तरह के दर्द को ना करें नजरअंदाज
- अगर बच्चे की उम्र 4 साल है तो दर्द को नजरअंदाज करने की गलती ना करें।
- पीठ दर्द एक महीने में भी ठीक नहीं हुआ तो इसे गंभीरता से लें।
- अगर पीठ दर्द रोजाना के काम को प्रभावित कर रहा है तो तुरंत एक्शन लें।
- बच्चा सही महसूस ना कर रहा हो, वजन घट रहा हो या खाना खाने का मन ना कर रहा हो। ऐसे में सावधान होना जरूरी है।
- अगर दर्द अधिक बढ़ता जा रहा है और वहां बच्चे को पिन या सुई चुभने जैसी सैंसेशन हो रही है तो इससे तुरंत डील करना सही है।
- अगर बच्चे की पीठ मुड़ गई है या वहां कर्व बन गया है।
- बच्चे को पेशाब करने में दिक्कत हो या कब्ज की समस्या होने लगे।