नाबालिक से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास
बडवानी (मप्र) . न्यायाधीष विषेष न्यायालय (पाक्सो) बडवानी सारिका गिरी षर्मा ने अपने फैसले मे नाबालिक पीड़िता के साथ आरोपी सरक्षक द्वारा दुष्कर्म करने के आरोप मे आरोपी को धारा 5;ठद्ध/6 एवं धारा 5(ढ)/6 लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 में आजीवन कारावास एवं 1000-1000 रूपये एवं धारा 376(3) में 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं 500 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया। अभियोजन की ओर से पैरवी श्री दुष्यंतसिंह रावत अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी बडवानी द्वारा की गई।
अभियोजन मीडिया प्रभारी सुश्री कीर्ति चौहान सहायक जिला अभियोजन अधिकारी बड़वानी ने बताया कि अभियोक्त्री जब 5-6 वर्ष की थी तब उसके जनक पिता ने उसे अभियुक्त सरक्षक को बेच दिया था। के सरक्षक आरोपी ने अभियोक्त्री की सगाई कर दी थी अभियोक्त्री का मंगेतर और उसके सरक्षक आरोपी ने अभियोक्त्री को अपने साथ उनके घर ले गये थे। अभियोक्त्री रात में खाना खाकर सो गई तब अभियोक्त्री का मंगेतर कमरे में आया और अभियोक्त्री के साथ जबरदस्ती गलत काम (दुष्कर्म) किया अभियोक्त्री ने मना किया तो उसके मंगेतर ने बोला कि तु मेरी पत्नि है। अभियोक्त्री के मंगेतर ने 5 दिन तक अभियोक्त्री साथ गलत काम (दुष्कर्म) किया। अभियोक्त्री 10 दिन तक उसके मंगेतर के घर रही। एक दिन घर पर अभियोक्त्री का मंगेतर और उसके पिता नही थे तब अभियोक्त्री घर से भागकर अपने दादाजी के पास उसकेे गांव चली गई। अगले दिन अभियोक्त्री का मंगेतर और उसके पिता अभियोक्त्री को लेने आये तो अभियोक्त्री बयड़ी (पहाड)़ पर जाकर छुप गई। फिर अभियोक्त्री और उसके सरक्षक आरोपी मांगलिया इंदौर चले गये और वहां मजदुरी करने लगे। तीन माह तक अभियोक्त्री व उसके सरक्षक आरोपी ने मजदुरी की एक दिन अभियोक्त्री के पिता फोन पर अभियोक्त्री की सगाई की बात कर रहे थे तब अभियोक्त्री को लगा कि उसके सरक्षक आरोपी फिर किसी के साथ भेज देगें तो अभियोक्त्री वहां से भाग गई। अभियोक्त्री देवास बस में बैठ गई देवास में अभियोक्त्री कोतवाली थाना देवास में पुलिस को घटना कि बात बताई फिर पुलिस ने अभियोक्त्री को वन स्टाप सेंटर देवास में भेज दिया। अभियोक्त्री ने अपने न्यायालयीन कथनों में बताया कि उसके मंगेतर ने उसके साथ दुष्कर्म न कर उसके सरक्षक ने ही इंदौर के मांगलिया व गुजरात में दुष्कर्म किया था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया व प्रकरण की विवेचना पूर्ण कर माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोग पत्र प्रस्तुत किया। प्रकरण की विवेचना पूर्ण कर न्यायालय के समक्ष अभियोग पत्र प्रस्तुत किया।