November 23, 2024

सुबेल पर्वत से प्रभु राम ने चलाया एक बाण, टूट गया था रावण का छत्र-मुकुट

रावण के पुत्र प्रहस्त और पत्नी मंदोदरी ने उसे समझाने का बहुत प्रयास किया कि सीता को वापस कर युद्ध से बचा जा सकता है किंतु रावण पर इन बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा. वह अपनी शक्ति को निहारते हुए महल पहुंचा. साथ ही सारे तनाव को भूलने के लिए महफिल में पहुंचा जहां अप्सराएं नाच रही थीं. इधर प्रभु श्री राम सेना सहित लंका में पहुंचे और रावण के किले के बाहर सुबेल पर्वत पर डेरा डाल कर प्रकृति का आनंद लेने लगे. युवराज अंगद और हनुमान जी प्रभु के पैरों को दबाने लगे.

राग रंग की महफिल से आई बादलों सी गड़गड़ाहट

इसी बीच दक्षिण दिशा की ओर देख श्री राम ने विभीषण जी से पूछा कि देखो दक्षिण दिशा की तरफ से कैसे बादल घुमड़ रहा है, बिजली भी चमक रही है.  बादल हल्के-हल्के स्वर से गरज रहा है कहीं ऐसा न हो कि कठोर ओले भी गिरने लगें. इस पर विभीषण जी ने कहा, हे रघुनाथ यह न तो बिजली है और न ही बादलों की घटा घिर रही है. लंका की चोटी पर एक महल है जहां लंकापति रावण का महल और उस महल में नाच गाना चल रहा है और रावण वहां पर बैठकर आनंद ले रहा है. रावण ने सिर पर बादलों की तरह विशाल और काले रंग का छत्र धारण कर रखा है, वही बादलों की काली छटा जैसा दिख रहा है. मंदोदरी के कानों के कर्णफूल हिल कर बिजली जैसी चमक पैदा कर रहे हैं. इस राग रंग की महफिल में जो ताल और मृदंग बज रहे हैं, वही बादलों की गर्जना महसूस करा रहे हैं.

रावण का घमंड तोड़ने श्री राम ने चढ़ाया बाण

प्रभु श्री राम ने जब विभीषण से यह वृतांत सुना तो इसे रावण का अभिमान जान कर मुस्कुराए, उन्होंने रावण का अभिमान तोड़ने के लिए धनुष पर बाण चढ़ा दिया. प्रभु ने एक ही बाण से रावण का छत्र मुकुट और मंदोदरी के कर्णफूल काट गिराए. सभी के देखते ही देखते वे सब जमीन पर गिर पड़े और इसका कारण कोई जान भी नहीं सका. ऐसा चमत्कार कर वह बाण वापस श्री राम के तरकश में आ गया. इस घटनाक्रम को रस में भंग जान कर सारी सभा भयभीत हो गई. सब सोचने लगे कि न भूकंप आया और न ही आंधी तूफान और न ही किसी ने वहां पर कोई अस्त्र शस्त्र देखा फिर छत्र मुकुट और कर्णफूल कैसे जमीन पर गिर पड़े. सभी लोग मन ही मन तरह तरह की बातें सोचने लगे कि आखिर यह कैसा अपशकुन है.

अभिमानी रावण ने नहीं माना इसे अपशकुन 

सबके मन में कौतुहल और आश्चर्य देख कर रावण ने हंसते हुए कहा कि आप लोग बिल्कुल भी भयभीत न हों. सिरों का गिरना भी जिसके लिए शुभ होता रहा है, उसके लिए मुकुट का गिरना कैसे अपशकुन हो सकता है. कोई भी डरे नहीं और अपने-अपने घर जाकर निर्भय हो कर सोएं. इतना सुनते ही सभा में उपस्थित सभी लोग एक-एक करके रावण के सामने सिर नवाकर चले गए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post iPhone 14 के लॉन्च से पहले हुए ये 5 खुलासे, Apple देने जा रहा है इतना कुछ
Next post सेलेक्टर्स ने अगला सुपरस्टार को बिना मैच खेले कर दिया टीम से बाहर
error: Content is protected !!