शिकायतों के बाद हजारों मस्जिदों से घटाई गई लाउडस्पीकर की आवाज, यहां से हुई शुरुआत
जकार्ता. दुनिया के सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया (Indonesia) ने दुनिया के सामने मिसाल पेश करते हुए मस्जिदों के लाउडस्पीकर की आवाज घटा दी है. यह फैसला इसलिए किया गया ताकि किसी को किसी तरह की परेशानी ना हो. अजान की तेज आवाज से लोगों को कई तरह की दिक्कतें हो रही थीं. दरअसल यहां अधिकतर लोगों को चिड़चिड़ेपन और अवसाद यानी डिप्रेशन की शिकायत हो रही थी.
मस्जिद परिषद का फैसला
ऐसे मामलों पर गंभीर विचार विमर्श के बाद इंडोनेशिया की मस्जिद परिषद (Mosque Council of Indonesia) की सिफारिश पर अमल करते हुए लोगों को इस मामले में राहत दी गई. काउंसिल के पदाधिकारियों के मुताबिक देश की मस्जिदों में से ज्यादातर का साउंड सिस्टम ठीक नहीं था. जिसके चलते अजान की आवाज जरूरत से कहीं ज्यादा तेज आती थी.
आसान नहीं था फैसला
प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस फैसले पर अमल की शुरुआत ग्रेटर जकार्ता एरिया से की गई. इस काम के लिए सैकड़ों टेक्नीशियंस की मदद ली गई. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलहाल देश की 70 हजार मस्जिदों के लाउडस्पीकर की आवाज कम हो गई है (Loudspeaker Volume). इस फैसले के बाद देश में कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. वहीं कैपिटल सिटी जकार्ता और आस-पास की मस्जिदों से हुई शुरुआत के बाद अब देश के बाकी शहरों में भी यह सिलसिला जारी है.
ऑनलाइन शिकायतें कर रहे थे लोग
अजान की तेज आवाज को लेकर लगातार ऑनलाइन शिकायतें आ रही थीं. लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. इंडोनेशिया में रहने वाले कई लोगों ने नाम सार्वजिनिक न होने की वजह से ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी बात रखनी शुरू की.
लोगों ने कहा कि हर रात 3 बजे लाउडस्पीकर बजने के कारण उन्हें एंजायटी डिसॉर्डर हो गया. जिसके कारण लोग न तो ठीक से सो पाते थे और ना ही ठीक से कोई और काम कर पा रहे थे. लोग इस वजह से भी सीधी शिकायत करने या आवाज़ उठाने में डर रहे थे क्योंकि उन्हें कट्टरपंथियों की प्रताड़ना के साथ जेल की सजा का खौफ सता रहा था.
पांच साल की कैद का खौफ
आपको बता दें कि इंडोनेशिया में ईश निंदा कानून पर पांच साल की कैद हो सकती है. ऐसे ही एक शिकायत करने पर कुछ समय पहले एक बौद्ध महिला को सजा सुनाई गई थी. उन्होंने तब सिर्फ इतना कहा था कि अजान की तेज आवाज से उनके ‘कानों को परेशानी’ होती है. स्थानीय लोगों की शिकायत पर उन्हें करीब 18 महीने जेल में गुजारने पड़े थे. इसके बाद कट्टरपंथियों की भीड़ ने कई बौद्ध मंदिरों को आग के हवाले कर दिया था.