Lung exercise : शंख बजाकर ऐसे मजबूत बनाएं फेफड़े, जानें इसके फायदों पर क्या कहता है आयुर्वेद और विज्ञान

कोरोना वायरस से बचाव के लिए लगातार लोग देसी नुस्खों के जरिए अपना इम्यून सिस्टम मजबूत कर रहे हैं। संकट की घड़ी में ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज और प्रोन को एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है तो वहीं अगर आप फेफड़ों को दुरुस्त रखना चाहते हैं तो शंख बजाना आपके लिए आसान तरीका हो सकता है।

कोरोना वायरस एक ऐसी बीमारी है जिसका सीधा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। इसकी चपेट में मरीज के लंग्स डैमेज हो जाते हैं। लिहाजा यही वजह है कि इन दिनों सभी अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत कर रहे हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने और ऑक्सीजन सेचुरेशन में सुधार करने के लिए जहां एक ओर लाखों लोग देसी नुस्खे आजमा रहे हैं तो वहीं कुछ ब्रीदिंग एक्सरसाइज का सहारा ले रहे हैं। महामारी के संकट की घड़ी में हमें अपने फेफड़ों का ख्याल रखना भी जरूरी है। क्योंकि, कोरोना वायरस का अटैक फेफड़ों पर ही सबसे पहले होता है और फिर ये धीरे-धीरे हमारे शरीर के बाकी हिस्सों को भी हानि पहुंचाता है। बहरहाल, यहां आपको फेफड़े सही रखने का एक देसी तरीका बता रहे हैं जिसे कहते हैं शंखनाद।

हिंदू धर्म में हर मांगलिक कार्य जैसे हवन, कथा में शंख बजाया जाता है। यह पवित्र ध्वनि का प्रतीक माना जाता है और अच्छा शगुन भी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, शंख बजाने से सुख-समृद्धि सहित कई अन्य लाभ होते हैं वहीं दूसरी ओर इसकी ध्वनि से कई बीमारियां भी दूर होती हैं। कोरोना काल में अगर अपने फेफड़ों की सेहत बेहतर रखना चाहते हैं तो शंखनाद का प्रयोग कर सकते हैं। शंख बजाने से फेफड़ों को फायदा मिलता है।

​पॉजिटिव एनर्जी आती है

वास्तुशास्त्र के मुताबिक, शंख में ऐसे कई गुण होते हैं, जिससे घर में निगेटिव दूर होकर पॉजिटिव एनर्जी आती है। इसकी ध्वनि सुनकर हमारा तनाव भी कम हो जाता है। मंदिरों में शंख की ध्वनियां ही सकारात्मकता लाती हैं। शंख की आवाज से ‘सोई हुई भूमि’ जाग्रत होकर शुभ फल देती है और सकारात्मकता प्रवेश करती है।
​शंख की ध्वनि पर आयुर्वेद

आयुर्वेद के अनुसार, शंख की ध्वनि के औषधीय प्रयोग हैं, जिससे हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, मस्तिष्क सहित और भी कई रोगों को कम किया जा सकता है। शंख बजाने से फेफड़े मजबूत होते हैं। इसके अलावा आयुर्वेद यह भी कहता है कि शंख बजाने से शरीर के निचले हिस्से, डायाफ्राम, छाती और गर्दन के मांसपेशियों की एक्सरसाइज भी हो जाती है।

सावधानीपूर्वक शंख भस्म निर्मित दवाएं बहुत से रोगों को दूर कर देती हैं। योग साधना करते समय नियमित रूप से शंख बजाने से श्वास नली मजबूत होती है, हृदय रोग दूर होता है और इम्यून सिस्टम भी मजबूत बनता है।

​शंख की ध्वनि पर क्या कहता है विज्ञान

शंख बजाने को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी आवाज से वातावरण में मौजूद कई तरह के जीवाणुओं-कीटाणुओं का नाश हो जाता है। शोध में भी ये बात सामने आ चुकी है शंख की ध्वनि से आस-पास के विषाक्त बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। विज्ञान के अनुसार, शंख की ध्वनि को दूषित वातावरण शुद्ध हो जाता है।

जैसे आप लंबी सांस लेकर ब्रीदिंग एक्सरसाइज करते हैं ठीक वैसे ही लंबी सांस खींचकर शंख बजाना होता है। हर रोज 1 से 2 मिनट तक शंख बजाने पर हृदय और फेफड़े मजबूत होंगे। वहीं श्वसन क्रिया और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। शंख ध्वनि को सुनने से हकलाहट और बहरेपन की समस्या भी दूर हो सकती है।

​शंख में है मानव शरीर के जीवाणु नष्ट करने की क्षमता

पुराणों में भी जिक्र मिलता है कि अगर श्वास का रोगी नियमि‍त तौर पर शंख बजाए तो वह बीमारी से मुक्त हो सकता है। शंख में रखे पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं और यह दांतों के लिए भी फायदेमंद बताया जाता है। कैल्श‍ियम, फास्फोरस व गंधक के गुण होने की वजह से शंख कई तरह से लाभकारी है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखा है कि शंख में जल भरने के बाद मंदिर में रख देना चाहिए और फिर घर की सभी वस्तुओं पर छिड़क देना चाहिए। जिस तरह से किसी भी धातु के बर्तन में रखे हुए जल में उस धातु के गुण आ जाते हैं, उसी प्रकार शंख में रखे हुए जल में भी शंख के गुण आ जाते हैं। इस जल को मानव शरीर पर छिड़कने से संक्रामक रोग से उसकी रक्षा होती है और उसके जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

​प्रयागराज में हुई शंख बजाने की प्रैक्टिस

आपको बता दें कि पिछले दिनों संगम नगरी प्रयागराज में तमाम लोग शंखनाद करते नजर आए थे। प्रयागराज में शंख बजाने की प्रैक्टिस करने के लिए समूह बनाए गए थे। लोगों का विश्वास है शंख की आवाज आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर देती है।

यहां तमाम ऐसे लोग हैं जो योग करने के साथ-साथ प्रतिदिन कम से कम पांच मिनट के लिए शंख बजाते हैं। संगम नगरी से सटे कटघर निवासी नवीन गुप्ता का कहना है कि कोविड -19 श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, इसलिए शंख बजाने से हमारे फेफड़ों को मजबूती मिलती है।

प्रयाग में शंख बजाने की प्रैक्टिस कर रहे लोगों का भी यही कहना है कि कोविड -19 को रोकने के लिए शंख बजाना सबसे अच्छा तरीका है, हालांकि दावे का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। कोविड के टीके मिलने के बावजूद, समूह के सदस्य वायरस से निपटने के लिए अपने व्यायाम के हिस्से के रूप में शंख बजाने का अभ्यास जारी रखे हुए हैं।

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