महाशिवरात्रि पर्व आदर्श योग आध्यात्मिक केन्द्र द्वारा धूमधाम से मनाया जायेगा
भोपाल. महाशिवरात्रि के अवसर पर आदर्श योग आध्यात्मिक केन्द्र के योग साधकों द्वारा पर्व धूमधाम से सामूहिक योग साधना एवं आदि योगी भगवान शिव की पूजन अभिषेक करके मनाया जायेगा। सभी सम्मानीय योग गुरू जी, सामाजिक संस्थाओ के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी रहवासी समितिओं के पदाधिकारी, प्रकृति प्रेमी धर्म प्रेमी भाई बहन एवं बच्चे सादर आमंत्रित है। कार्यक्रम का आयोजन 11 मार्च को प्रातः 8 बजे से कलिया सोत डेम के मध्य स्थित प्राचीन विश्वनाथ मंदिर में किया जाएगा ।
योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि आदियोगी शिव – पहले योग गुरु है पन्द्रह हज़ार साल से भी कुछ समय पहले, पहले योगी, आदियोगी, ने सप्त ऋषियों को योग विज्ञान में दीक्षित किया। सभी धर्मों से भी बहुत पहले, पहले योगी, आदियोगी हिमालय में प्रकट हुए। वे परमानंद में मग्न हो कर नाचने लगते या फिर शांत भाव से स्थिर हो कर बैठ जाते। उस अवस्था में उनकी आँखों से बहते आँसूं ही उनके जीवित होने का एकमात्र लक्ष्ण थे। यह तो साफ़ था कि वह एक ऐसा अनुभव पा रहे थे, जिसकी कोई कल्पना तक नहीं कर सकता था। लोग दिलचस्पी लेते हुए उनके आसपास जमा होने लगे किंतु उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया इसलिए धीरे-धीरे भीड़ छँटने लगी। वहाँ सिर्फ 7 गंभीर साधक ही बचे रहे। उन्होंने विनती की, ”कृपया, हम जानना चाहते हैं कि आप क्या जानते हैं?“ उनके आग्रह को देखते हुए, आदियोगी ने उन्हें आरंभिक साधना की दीक्षा दी। उन्होंने पूरे चौरासी वर्षों तक पूरी एकाग्रता से साधना की, और इस दौरान आदियोगी ने उन पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया। फिर, दक्षिणायन के प्रारंभ के समय, आदियोगी ने पाया कि वे ज्ञान पुँज की तरह जगमगा रहे थे। पूरे अट्ठाईस दिन तक उनका निरीक्षण करने के बाद, पूर्ण चंद्रमा की रात को उन्होंने अपने आपको प्रथम गुरु या आदि गुरु के रूप में बदल दिया। इस रात को हम आज गुरु पूर्णिमा के नाम से जानते हैं।
कांति सरोवर के तट पर, आदियोगी ने अपने पहले सात शिष्यों को योग विज्ञान का प्रतिपादन आरंभ किया। वही सात शिष्य सप्त ऋषि के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने ऐसे 112 उपाय प्रस्तुत किए, जिनके माध्यम से मनुष्य अपनी सीमाओं से परे जा कर, अपनी अधिकतम संभावना तक पहुँच सकते हैं। आदियोगी ने व्यक्तिगत रूपांतरण के साधन दिए क्योंकि यही संसार के रूपांतरण का एकमात्र उपाय है। उनका बुनियादी संदेश है, “अंदर की ओर मुड़ना” ही मनुष्यों के कल्याण और मुक्ति का इकलौता साधन है।’ अब समय आ गया है कि हम मनुष्य के कल्याण के लिए चेतना संबंधी तकनीकों के साथ काम करें।