एडप्रयास की ममता पाण्डेय ने मौली राखीयों की बिक्री से प्राप्त राशि आर्ट आफ लिविंग व मूक-बधिर स्कूल, सरकंडा को दिया

बिलासपुर. मौली रक्षा सूत्र, भारतीय संस्कृति मे, शुद्ध व पवित्र धागे के रूप में धार्मिक पूजा-पाठ व अनुष्ठानों मे हाथ की कलाई में बांधा जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह कफ पित्त की समस्या कों ठीक करता है। मौली रक्षा के इन्ही गुणो को, रक्षाबंधन के पर्व पर, राखी के रूप मे बांधे जाने का अनूठा विचार, एडप्रयास की डायरेक्टर ममता पाण्डेय ने उपयोग किया। 7 वर्षो की लम्बी लेकिन सफल यात्रा में, उन्होने सैकड़ो स्कूलों की लड़़कियों व महिला मंडल की महिला सदस्यो को मौली राखी बनाने का प्रशिक्षण भी दिया। प्रशिक्षण लेने वाली महिलाओं ने इस पर उत्साह पूर्वक भाग लिया। इस प्रकार बनाई गई मौली राखियों को उन्होने नि:शुल्क बांटकर उसे लोकप्रियभी बनाया। विगत वर्षो मे उन्होने मौली राखियो को आकर्षक पैक मे, बाजार मे बिक्री भी शुरू की है, जिसका मूल उद्देश्य लाभ कमाना न होकर बिक्री मे प्राप्त राशि को, समाज कल्याण के कार्याे से जुड़ी संस्थाओं को दान में देना है। इस वर्ष मौली राखियों की बिक्री से कुल 39500/ प्राप्त हुई इसमे से राशि 35000/- आर्ट आफ लिविंग, को दिया और 4500/ -अंध मूक विद्यालय सरकंडा नूतन चौक की बच्चियों के लिये दिये गये ।श्रीमति ममता पाण्डे ने कहाँ कि ‘मैं उन सभी लोगो की आभारी हूँ जिन्होंने मौली की मौलिकता को समझ कर राखियां ख़रीदकर सहयोग प्रदान किया। डॉ सी वी रमन विश्वविद्यालय, आधारशिला विद्या मंदिर, डॉ ओम माखीजा, ब्रीलियंट पब्लिक स्कूल , SECL , सरदार जसबीर सिंह का बहुमूल्य सहयोग प्राप्त हुआ ।

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