November 23, 2024

इस मंदिर में रोज होता है चमत्‍कार, पुजारी के आने से पहले देवी मां को चढ़े मिलते हैं ताजे फूल


भारत के कई मंदिर चमत्‍कारों से भरे हुए हैं. इन मंदिरों में होने वाली घटनाओं के पीछे के रहस्‍य आज भी सभी के लिए अनसुलझे ही हैं. इन्‍हीं में से एक मंदिर हैं मैहर में स्थित मां शारदा का शक्तिपीठ (Maa Sharda Shaktipeeth). 51 शक्तिपीठों में से एक मैहर के शारदा मंदिर में माता सती का हार गिरा था. यह मंदिर त्रिकूट पर्वत की चोटी पर है. कहते हैं पर्वत की चोटी पर बने इस मंदिर में जो भी लोग दर्शन करने जाते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.

हर रोज होता है चमत्‍कार
यह एक ऐसा मंदिर है जहां रोज एक चमत्‍कारिक घटना होती है. रात को मंदिर के पट बंद होने के बाद पुजारी भी पहाड़ के नीचे चले जाते हैं. रात के समय मंदिर में कोई नहीं रहता है लेकिन अगले दिन सुबह पुजारी के आने से पहले देवी मां के सामने ताजे फूल चढ़े हुए मिलते हैं. मान्‍यता है कि यह फूल वीर योद्धा आल्हा और ऊदल (Aalha Udal) चढ़ाकर वे जाते हैं. वे अदृष्य होकर रोज माता की पूजा करने के लिए मंदिर में आते हैं. इन दोनों योद्धाओं ने ही इस घने जंगल में पर्वत पर स्थित मां शारदा (Maa Sharda) के पावन धाम की खोज की थी और 12 साल तक तपस्‍या की थी. तब मां शारदा ने प्रसन्‍न होकर उन्‍हें अमर रहने का वरदान दिया था.

अपनी जीभ काटकर मां को चढ़ा दी थी
यह भी कहा जाता है कि आल्‍हा और ऊदल ने देवी मां को प्रसन्‍न करने के लिए अपनी जीभ काटकर उन्‍हें अर्पित कर दी थी. तब मां ने उनकी भक्ति से प्रसन्‍न होकर उनकी जीभ फिर से जोड़ दी थी. इस मंदिर में मां के दर्शन करने के लिए 1001 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों से यहां रोपवे सुविधा भी शुरू हो चुकी है और तकरीबन 150 रुपये में भक्‍त इस सुविधा का उपयोग कर सकते हैं.

 

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