मानदेय समेत कई मांगों को लेकर मितानिनो ने सीएमएचओ कार्यालय का घेराव कर, दिया धरना

बिलासपुर. जिले में करीब 470 मितानिन है, जो स्वास्थ्य सहायिका के रूप में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक काम करती हैं। उनका दावा है कि सरकारी योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने के साथ इन्होंने कोरोना काल भी कोरोना योद्धा की तरह स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया है। इस कार्य के लिए शासन की ओर से उन्हें 10 से 12 हज़ार रुपये का अतिरिक्त मानदेय मिला है, लेकिन अधिकारी इसे रोक कर रखे हुए हैं और इसमें कटौती करने की बात कर रहे हैं।

साथ ही कार्य क्षेत्र में आने वाली दिक्कतों का भी उन्होंने जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कोरोना और अन्य सर्वे के दौरान उन्हें बार-बार अपमानित होना पड़ा, लेकिन जनहित के कार्य में कोई मितानिन पीछे नहीं हटी। प्रसव के लिए जब मितानिन गर्भवती को लेकर अस्पताल जाती है तो वहां अस्पताल कर्मचारी उन्हें तरह-तरह से परेशान करते हैं। उनसे फोटोकॉपी की मांग की जाती है, उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और पैसों की भी मांग की जाती है। इस व्यवस्था में सुधार और एनएम को हटाने की मांग भी मितानिन कर रही है। अपना मानदेय बढ़ाने, मानदेय की राशि एकमुश्त प्रदान करने, नियमित करने जैसी कई मांगों के साथ बिलासपुर जिले की मितानिनो ने प्रदर्शन किया है, जिन्होंने बताया कि उनका करीब 14 महीने का मानदेय लंबित है। इस संबंध में बिलासपुर विधायक, कलेक्टर, निगम आयुक्त स्वास्थ्य संचालक और  नगर समन्वयक को आवेदन करते हुए कोरोना काल में किए गए ड्यूटी के लिए प्राप्त अतिरिक्त मानदेय का भुगतान जल्द से जल्द करने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान सुबह  9:00 से शाम 5:00 बजे तक उनकी ड्यूटी लगाई थी, लेकिन उसका मानदेय आज तक नहीं दिया गया। बड़ी संख्या में पहुंची मितानिनो ने जोरदार ढंग से अपनी बात रखी और यह दावा भी किया कि जमीनी स्तर पर उनके बगैर स्वास्थ्य सेवाओं का पहुंचना संभव नहीं।

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