कोरोना काल संकट में मनरेगा बना सहारा
बिलासपुर. कोरोना महामारी के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में लाॅकडाउन हो गया, चाहे कोरोना संक्रमण का प्रथम चरण हो या दूसरा चरण दोनों ही समय में देश भर में लाॅकडाउन होने से व्यावसायिक और आर्थिक गतिविधियों पर व्यापक प्रभाव देखा गया बहुत सी औद्योेगिक ईकाईयां बंद हो गयी अथवा इनमें उत्पादन प्रभावित हुआ. देश के बड़े-बड़े शहरों से छोटे-छोटे व्यवसाय या मजदूरी करने वाले श्रमिक अपने-अपने गांवों की ओर लौटने लगे इससे छत्तीसगढ़ राज्य के प्रवासी श्रमिक भी बहुत अधिक मात्रा में प्रभावित हुए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर देश के अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ के फंसे श्रमिकों को विशेष ट्रेनों और बसों के माध्यम से लाया गया उन्हें मनरेगा के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया गया. कोरोना संकट काल की सबसे बड़ी चुनौती थी कि किस प्रकार सुरक्षात्मक उपायों का पालन करते हुए समूह में रोजगार उपलब्ध कराने वाले कार्य जारी रखे जाये. पूरे प्रदेश भर के गांव-गांव में कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का पालन किया गया। मनरेगा को आजीविका के साथ ही परिसंपत्तियों और सार्वजनिक सुविधाओं का माध्यम बनाया गया। मनरेगा के कार्याें में छत्तीसगढ़ उत्कृष्ट प्रदर्शन जारी है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा जाॅब कार्डधारी परिवारों को 100 दिनों का रोजगार देने में छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मनरेगा में लगातार अच्छे प्रदर्शन के लिए संबंधित विभागों के शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों तथा पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि कोविड 19 के चलते लाॅकडाउन के बावजूद मनरेगा के अंतर्गत तत्परता से शुरू हुए कार्याें से ग्रामीणों और प्रवासी मजदूरों को अपने गांव घरों मंे बड़ी संख्या के सीधे रोजगार मिला. मनरेगा के अंतर्गत विषम परिस्थितियों के बावजूद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मनरेगा के अंतर्गत सामुदायिक एवं व्यक्तिमूलक संवर्धन के कार्याें के तहत् जल संरक्षण के साथ कृषि, उद्यानिकी और पशुपालन से जुड़ी अधोसंरचना को मजबूत करने के लिए विविधि परिसंपत्तियों का निर्माण किया जा रहा है। प्रदेश के सभी विकासखण्डों में निजी डबरी, कुंआ, भूमि सुधार, तालाब निर्माण, गौठान निर्माण, पशु शेड निर्माण, चारागाह निर्माण, शासकीय भूमि पर वृक्षारोपण, व्यक्तिमूलक फलदार वृक्षारोपण, आंगनबाड़ी भवन निर्माण, हितग्राहियों के लिए बकरी शेड, मुर्गी शेड, महिला समूह के माध्यम से नर्सरी में पौध निर्माण, सिंचाई के लिए नाली निर्माण, बोल्डर डेम, चेक डेम, गोवियन निर्माण तथा महिला समूह के लिए वर्क शेड निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य कराये जा रहे है। मनरेगा कार्यस्थलों पर कोरोना से बचाव और आवश्यक सावधानियों के बारे में भी श्रमिकों को नियमित रूप से जागरूक किया जा रहा है। देशव्यापी लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश् भर के ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए मनरेगा के अंतर्गत प्रदेश भर में व्यापक स्तर पर काम शुरू किये गये है. इन कार्याें से प्रतिदिन 22 लाख से 25 लाख जाॅब कार्ड धारियों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है।