मनरेगा कर्मियों को 3 माह से वेतन नहीं, उपमुख्यमंत्री ने जारी करने के दिए निर्देश
मध्यप्रदेश में नया वेतनमान निर्धारण तो छत्तीसगढ़ में वेतन के लिए भी संघर्ष
मनरेगा सहित शासन की महत्वाकांक्षी योजनाएं प्रधानमंत्री आवास, स्वच्छ भारत मिशन एवं अन्य आवश्यकतानुसार कई योजनाओं और गतिविधि की प्रगति की जिम्मेदारी
रायपुर. यह कैसी विडंबना है कि एक ही योजना में कार्य करने वाले कर्मचारियों के भाग्य दीगर दीगर प्रदेशों में भिन्न भिन्न है। एक और मध्यप्रदेश में जहां मनरेगा योजना में कार्य करने वाले कर्मचारी अपना नया वेतनमान निर्धारण से खुशियां मना रहे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में 3 माह से वेतन नहीं मिलने के कारण रोजी रोटी की समस्या से जूझ रहे हैं।
सोमवार को मनरेगा कर्मचारियों ने उपमुख्यमंत्री छ ग शासन एवं पंचायत ग्रामीण विकास विभाग विजय शर्मा से मिलकर अपनी 3 माह से वेतन नहीं मिलने की स्थिति से अवगत कराया । जिस पर उपमुख्यमंत्री ने विभाग के आला अफसरों से तत्काल संपर्क कर वेतन जारी करने के निर्देश दिए।
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष अशोक कुर्रे ने बताया कि मनरेगा कर्मचारियों को विगत 3 माह से वेतन नहीं मिला है जिसके कारण कर्मचारियों की माली हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है। जिसे संज्ञान में लाने के लिए उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा जी को अवगत कराया गया। जिस पर उनके द्वारा तत्काल कार्यवाही का आश्वासन देते हुए उच्च अधिकारियों को वेतन जारी करने निर्देश दिए गए है।
विगत 5 साल में प्रदेश में मनरेगा कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं किया गया है। हमारा वेतन जो पहले प्रत्येक दो वर्ष में बढ़ता था इस प्रकार कुल 48 प्रतिशत की वेतन वृद्धि 5 साल में मिलनी थी, किंतु इसके विपरित कांग्रेस कार्यकाल के 5 वर्षो में मात्र 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि हुई है। वहीं पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में एक बार पुनः वेतन निर्धारण कर उन्हें अच्छा वेतन दिया जा रहा है।
मनरेगा कर्मचारियों से किसी तरह का अन्य कार्य नहीं लिए जाने के शासन के निर्देश हैं, किंतु इन कर्मचारियों से वर्तमान में प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं की राज्य व जिला स्तर पर समीक्षा की जा रही है। लक्ष्य पूर्ण न होने की स्थिति में कारवाई का डर भी बनाया जा रहा है। जिसके कारण कर्मचारियों में हताशा और निराशा व्याप्त है। इसी प्रकार विकसित भारत यात्रा, पीएम-जनमन महाभियान और गांव को ओडीएफ प्लस कराने की ज़िम्मेदारी भी इन्ही मनरेगा कर्मचारियो के कंधो पर है।
ऐसी ही परिस्थितियों के वश कांग्रेस कार्यकाल में एक बड़े हड़ताल की वजह बनी थी।