बैंकों की सुविधा और विश्वसनीयता दोनों खत्म करने पर आमादा है मोदी सरकार
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चेक बुक, एसएमएस चार्ज, कैश ट्रांजेक्शन, चेक क्लियरेंस, कार्ड रिपलेशमेंट, न्यूनतम बैलेंस, आईएमपीएस सब कुछ महंगे
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एक तरफ बैंको में जमा पर मिलने वाले ब्याज में कटौती, दूसरी तरफ हर तरह की सेवाओं पर चार्ज लगातार बढ़ा रहे
रायपुर. प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार के संरक्षण में जहां एक तरफ बैंक फ्रॉड की घटनाएं बेतहाशा बढ़ी है, धोखाधड़ी करने वाले और भगोड़ों को भाजपाईयों का संरक्षण मिला है जिसका नुकसान आम जनता को भोगना पड़ रहा है। मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते देश में बैंकिंग व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा रही है। मोदी सरकार के पूंजीपति मित्र प्रेम के चलते जो लाखों करोड़ों का लोन राइट ऑफ किए जा रहे हैं उसकी भरपाई बैंक बड़ी बेरहमी से आम जनता से कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि बैंकों से दी जाने वाली सभी तरह की निःशुल्क सुविधाएं और विश्वसनीयता, मोदी सरकार ने दोनों ही खत्म कर दिया है। पिछले 70 साल में जो सुविधा बैंकों में निःशुल्क हुआ करती थी अब सभी तरह की सेवाओं के लिए मोदी सरकार में अतिरिक्त पैसे चाहिए। पता भी नहीं चलता कि कब-कब, किस बात के लिए खातों से पैसे काट लिए। इतिहास में मोदी सरकार से पहले कभी भी चेक क्लीयरेंस का पैसा नहीं लगता था, लेकिन अब उसके भी पैसे वसूल रहे। अपने ही खातों में पैसा जमा करने और निकालने के भी एक्स्ट्रा फीस वसूले जा रहे हैं। मोदी सरकार से पहले चेक बुक फ्री हुआ करते थे, अब हर बार उसके पैसे वसूल रहे। एसएमएस चार्ज 2 रूपए, 3 रूपए से बढ़कर सीधा 25 से 50 रूपए प्रति खाता। स्टेटमेंट का भी पैसा चाहिए, न्यूनतम बैलेंस के नाम पर सैंकड़ों रूपए वसूल रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि एक तरफ जहां खातेदारों के द्वारा बैंकों में जमा रकम पर ब्याज घटा दी गई है। एफडी, रिकरिंग और बचत खाते सभी में ब्याज दर घटकर लगभग आधा रह गया है। आम जनता की जेब में डकैती और खुलेआम लूट का कोई अवसर मोदी सरकार नहीं छोड़ रही है। बैंक फ्रॉड करके देश छोड़कर भागने वाले भगोड़ों को मोदी सरकार से सरंक्षण सर्वविदित है। भगोड़े ललित मोदी को इंटरपोल से जारी रेड कॉर्नर नोटिस मोदी सरकार के संरक्षण में निरस्त किए गए। एंटीगुआ में नागरिकता के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने ही एनओसी जारी किया। 18 लाख करोड़ से अधिक की राशि मोदी के चंद पूंजीपति मित्रों का राइट ऑफ किए गए जिसकी कीमत आम जनता को चुकानी पड़ रही है। दरअसल मोदी सरकार बैंकों की विश्वसनियता और आमजनता की सुविधा खत्म करके निजीकरण का षड़यंत्र रच रही है।