November 22, 2024

भारत में महंगाई और बेरोज़गारी के लिए मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियां जिम्मेदार

एक समय था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की जनता को महंगाई और बेरोज़गारी से मुक्त भविष्य का सपना दिखाया था। इसके विपरीत आज उन्होंने लोगों को रिकॉर्ड तोड़ मूल्य वृद्धि और 45 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी की भयावह स्थिति में डाल दिया है।

पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार का रिकॉर्ड इस सच्चाई को उजागर करता हैः

2014 में एलपीजी 410 प्रति सिलेंडर, 2022 में 1,053-1,240 रुपये प्रति सिलेंडर, 156 प्रतिशत वृद्धि,
2014 में पेट्रोल 71 रुपये प्रति लीटर, 2022 में 95-112 रुपये प्रति लीटर, 40 प्रतिशत वृद्धि,
2014 में डीजल 55 रुपये प्रति लीटर, 2022 में 90-100 रुपए प्रति लीटर, 75 प्रतिशत वृद्धि,
2014 में सरसों का तेल 90 रुपये प्रति किलो, 2022 में 200 रुपए प्रति किलो, 122 प्रतिशत वृद्धि,
2014 में गेहूं का आटा 22 रुपये प्रति किलो, 2022 में 35-40 रुपए प्रति किलो 81 प्रतिशत वृद्धि,
2014 में दूध 35 रुपये प्रति लीटर, 2022 में 60 रुपए प्रति लीटर 71 प्रतिशत वृद्धि,

2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी केवल महंगाई को नियंत्रित करने में ही असफल नहीं हुए बल्कि उनकी गलत नीतियों और धोखेबाज़ी ने वास्तव में लोगों की पीड़ा को और बढ़ा दिया है।

प्रधानमंत्री ने 2019 में मतदाताओं के सामने इस बात का दंभ भरा था कि खाद्यान्न, दही, लस्सी और छाछ जैसी आवश्यक वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है लेकिन 2022 में उन्होंने उन्हीं वस्तुओं पर जीएसटी लगा दी। उन्होंने 2019 के चुनाव में लोगों से वोट लेने के लिए उज्ज्वला योजना का खूब प्रचार किया लेकिन चुनावों के तुरंत बाद उन्होंने संवेदनहीनता दिखाते हुए रसोई गैस पर सब्सिडी को ख़त्म कर दिया। रसोई गैस की कीमतों में दोगुनी से अधिक वृद्धि करके उसे 1,053-1200 रुपये प्रति सिलेंडर तक पहुंचा दिया और करोड़ों उपभोक्ता आज अपने खाली गैस सिलेंडर को फिर से भराने की स्थिति में नहीं हैं। ये उन तमाम मामलों में से सिर्फ दो ऐसे उदाहरण हैं जहां प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों का वोट प्राप्त करने के लिए उन्हें धोखा दिया और फिर अपनी “डूब मरो“ की विचारधारा का पालन करते हुए उनकी पीठ में छुरा घोंप दिया।

हर कीमत पर अपने खजाने को भरने की मोदी सरकार की हताशा ने उसे अप्रत्याशित ईंधन कर लगाने के लिए प्रेरित किया, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को और आघात पहुंचा है। पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी की वैश्विक कीमतें 2021-22 की तुलना में 2013-14 में बहुत अधिक थीं लेकिन उपभोक्ता आज एक लीटर ईंधन या एलपीजी सिलेंडर के लिए यूपीए शासन काल की तुलना में कहीं अधिक भुगतान कर रहा है।

मई 2014 में कच्चा तेल 106 $/बैरल, पेट्रोल की कीमत 71 रू./लीटर, डीजल की कीमत 55 रू./लीटर,
अगस्त 2022 में कच्चा तेल 97.01 $/बैरल, पेट्रोल की कीमत 95-112 रू./लीटर, डीजल की कीमत 71 रू./लीटर,
2013-14 में एलपीजी 881 $/मीट्रिक टन, एलपीजी की कीमत 410 रू./सिलेंडर,
अगस्त 2022 में में एलपीजी 670 $/मीट्रिक टन, एलपीजी की कीमत 1053-1240 रू./सिलेंडर,

कच्चे तेल और रसोई गैस की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें पिछले कुछ महीनों से कम हो रही हैं, लेकिन उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसके विपरीत जब-जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में वृद्धि होती है तो ये सरकार पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों को बढ़ाना कभी नहीं भूलती।

मोदी सरकार की दिशाहीन नीतियों ने बेरोज़गारी की स्थिति को विनाशकारी मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। नोटबंदी और जल्दबाज़ी में लागू की गई जीएसटी कर प्रणाली पहले ही अर्थव्यवस्था को बड़ा गहरा आघात पहुंचा चुकी थी, इस सबके ऊपर मोदी सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को बंद कर रही है, उनका निजीकरण कर रही है और बहुमूल्य राष्ट्रीय परिसंपत्तियाँ अपने पूंजीपति मित्रों को हस्तांतरित कर रही है। सरकार की युवा विरोधी नीतियों के कारण केंद्र सरकार में 10 लाख पद खाली पड़े हैं जो कि कुल स्वीकृत पदों का 24 प्रतिशत हैं।

विवेकशून्य ‘अग्निपथ’ योजना हमारे युवाओं के लिए रोज़गार की संभावनाओं के साथ तो खिलवाड़ करती ही है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक नया ख़तरा है। सशस्त्र बलों में शामिल होकर अपने देश की सेवा करने का सपना देखने वाले युवकों और युवतियों को 4 साल के लिये संविदा आधार पर नौकरी का प्रस्ताव दिया जा रहा है, जिसमें पेंशन या सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है।

सरकार की इन विवेकहीन नीतियों के परिणाम विनाशकारी रहे हैं। लाखों युवा निराश होकर नौकरी के बाजार से बाहर हो गए है। इस पलायन के बावजूद 20 से 24 आयु वर्ग के 42 प्रतिशत युवा जो अब भी नौकरी की तलाश में हैं, वे बेरोजगार हैं। इसी का नतीजा है कि पीएचडी और स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्राप्त युवा भी चपरासी जैसे कम शैक्षणिक योग्यता की जरूरत वाले पदों के लिये आवेदन करने के लिये मजबूर हैं।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस कठिन समय में लोगों के साथ खड़ी है। संसद से सड़क तक हमने मोदी सरकार की अक्षमता और उन दिशाहीन नीतियों के विरूद्ध आवाज उठाई है जिनके कारण भारत में महंगाई और बेरोजगारी में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। जून 2021 से अब तक हमने सात राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन और जन जागरण कार्यक्रम आयोजित किए हैं (आपके संदर्भ के लिए संलग्नक संलग्न हैं)। 5 अगस्त को महंगाई के खिलाफ अपने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के बाद हम आगामी रविवार यानि 4 सितंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘महंगाई पर हल्ला बोल’ रैली आयोजित करेंगे।

हम मांग करते हैं कि सरकार महंगाई पर अंकुश लगाने और रोजगार पैदा करने के अपने वादे को अविलंब पूरा करे और इसके साथ-साथ हम सभी नागरिकों से आग्रह करते हैं कि जन-विरोधी और युवा-विरोधी दृष्टिकोण को बदलने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के हमारे प्रयास में साथ आएं।

पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, दही, लस्सी और पैक किए हुए आटे तथा चावल जैसी आवश्यक वस्तुओं पर ज़्यादा टैक्स लगाकर राजस्व इकट्ठा करने के लिए मोदी सरकार की भूख ने मूल्य वृद्धि की दर और उपभोक्ता की पीड़ा को बहुत बढ़ा दिया है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस लगातार मूल्य वृद्धि और बेरोजगारी के मुद्दों को उठाती रही है। पिछले एक साल में हम महंगाई के खिलाफ आम जनता की लड़ाई लगातार लड़ रहे हैं। हमने 5 अगस्त को भी देशभर में विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके दौरान दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे श्री राहुल गांधी सहित 60 से अधिक सांसदों और अन्य वरिष्ठ नेताओं को पुलिस ने सारा दिन अपनी हिरासत में रखा।
हम तानाशाह मोदी सरकार से डरेंगे नहीं; कांग्रेस 4 सितंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक ’महंगाई पर हल्ला बोल’ रैली का आयोजन कर रही है और लोगों का उत्साह बता रहा है कि यह एक ऐतिहासिक रैली होने जा रही है।

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी के संबध में आप लोग जानते है और अंग्रेजो ने जिस प्रकार से देश को लूटा और संपत्तियां इंग्लैंड में जाकर बनायी। आज नरेन्द्र मोदी देश की संपत्ति अपने मित्रों अंबानी और अडानी का है। जनता के जेब खाली कर रहे है। जब चुनाव का वक्त था बड़े-बड़े वायदे किये थे उन वायदो की ओर ध्यान नही दिया। प्रतिवर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात हुयी थीं। 8 साल में 16 करोड़ लोगों को रोजगार मिलना चाहिये था। महंगाई के बारे में बोलते थे भाईयो, बहनो, मित्रों अच्छे दिन आयेंगे। बोलते थे महंगाई कम करेंगे, बेरोजगारी कम करेंगे और इनके एक दो चमचे भी थे जैसे हमारे अन्ना हजारे आजकल नजर नही आ रहे कही दिखते है और एक बाबा थे जो बोलते थे मोदी सरकार आयेगी तो पेट्रोल 35 रूपये मिलेगा आज कही नजर नही आ रहे। हमारे कांग्रेस पार्टी ने देश के लिये जो संपत्ति बनाई थी उसे आज मोदी बेच रहे है। बोलते थे देश बेचने नहीं दूंगा आज देश बेच रहे है। देश बेचकर संपत्ति किसकी बना रहे है अपने मित्रों का। देश में बेरोजगारी बढ़ गई है, नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की बेरोजगारी दूर हुयी है और संपत्ति बना रहे है किसके लिये बना रहे है अपने दो मित्रों के लिये अंबानी और अडानी के लिये और पूरा देश बेच रहे है। पूरा देश बिकने की स्थिति में है। देश को कांग्रेस पार्टी ने आजादी दिलाई और नवनिर्माण किया। जिस तरह अंग्रेजों को भगाया इसी तरह से केंद्र से मोदी की सरकार को भगाना है और देश की जनता ने निश्चय कर लिया है आने वाले समय में मोदी भाजपा को हराना है और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनाना है। तभी देश में महंगाई और बेरोजगारी दूर होगी।

पत्रकार वार्ता में मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री संगठन अमरजीत चावला, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेन्द्र छाबड़ा, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, घनश्याम राजू तिवारी, विकास तिवारी, सुरेन्द्र वर्मा, वंदना राजपूत, नितिन भंसाली, अमित श्रीवास्तव, अजय गंगवानी उपस्थित थे।

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