इस Yoga से शुद्ध होगा शरीर और दिमाग से दूर भागेगी नेगेटिविटी, भगवत गीता में है इस योग मुद्रा का जिक्र

अपान मुद्रा वैसे तो सदियों पुराना योग है जिसका उल्लेख श्रीमद भगवत गीता में भी मिलता है लेकिन वैज्ञानिक तौर पर इसे डिटॉक्सिफिकैशन मुद्रा (Detoxification Mudra) के रूप में जाना जाता है।

अपान (Apaan mudra) (अपान वायु मुद्रा) (Apan Vayu Mudra) एक ऐसी मुद्रा है जो आपकी आंखों, मुंह, कान और नाक से अपशिष्ट को हटाकर बॉडी को डीटॉक्सीफाइ करने में मदद करती है। इस मुद्रा को करने और ठीक से सांस लेने से आप अपने शरीर से 90% विषाक्त (Toxins) पदार्थों को खत्म कर सकते हैं। अनुभा रमन (Anubha Raman) एक योग प्रशिक्षक हैं जो हमें इस डिटॉक्सिफिकैशन मुद्रा (Detoxification Mudra) का अभ्यास करने का सही तरीका सिखाती हैं, जिसे हम कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं। खासकर तब जब हमारे पास ऐसे योग करने के अभ्यास के लिए अपर्याप्त जगह हो।

आपको बता दें कि हमारे पवित्र ग्रंथ श्रीमद भागवत गीता में भी अपान मुद्दा का जिक्र है। एक उपदेश में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपान मुद्रा के बारे में बताया है। आइए वैज्ञानिक दृष्टि से जानते हैं इस मुद्रा का महत्व और स्वस्थ्य लाभ (Health Benefits of Apaan mudra)।

​इस योग मुद्रा का महत्व

डिटॉक्सिफिकेशन मुद्रा एक सेकरेड हैंड जेस्चर है जिसके जरिए हम अपने शरीर की ऊर्जा का शुद्धिकरण कर सकते हैं। यह शरीर के ऊर्जा चैनलों के साथ-साथ दिमाग से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर करती है। दिन में कम से कम एक बार आपको ध्यान और योग के माध्यम से खुद को डीटॉक्सीफाइ करना चाहिए। यह मुद्रा इस प्रक्रिया को गति देने में सहायता कर सकती है। इसे करने से आपको कई स्वस्थ्य लाभ मिलते हैं।​शरीर के नकारात्मकता को दूर करती है डिटॉक्सीफाई मुद्रा

डीटॉक्सीफाई मुद्रा शरीर को अशुद्धियों से छुटकारा पाने के लिए और मन को बुरी ऊर्जा बाहर करने के लिए माना जाता है। यह मुद्रा आपको उन विचारों, भावनाओं या घटनाओं की कल्पना को भूलने में सहायता कर सकती है जिन्हें आप अपने जीवन से खत्म करना चाहते हैं। ये विचार होते हैं जो आपके व्यवहार को खतरनाक बना देते हैं और नकारात्मकता से भर देते हैं। खाली करने में इस मुद्रा को करने से दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
​डिटॉक्सिफिकैशन मुद्रा से स्वस्थ्य रहता लिवर

इस मुद्रा को करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही इस मुद्रा को करने से आपके लिवर का स्वस्थ भी सही रहता है। इसलिए जिन लोगों को लिवर की समस्या बनी रहती है उन्हें नियमित रूप से मुद्रा को करना चाहिए। यह बात शोध में भी स्पष्ट हो चुकी है कि इसे करने से लिवर स्वस्थ्य रहता है।​कम हो जाता पेट, बवासीर से लेकर ब्लड प्रेशर का जोखिम

एक विश्वसनीय शोध से पता चला है कि इस मुद्रा का उपयोग औरिया यानी पेशाब का रुक जाना (absence or stoppage of urine), कब्ज, ब्लोटिंग, बवासीर, उल्टी, हिचकी और बेचैनी के इलाज के लिए किया जा सकता है। यह मासिक धर्म के दर्द और रक्तचाप को कम करने में भी मदद करता है। यह शरीर और दिमाग दोनों के जरिए होता है, इसलिए पर्याप्त आराम करना और बॉडी की अशुद्धियों को दूर करने के लिए खूब पानी पीना महत्वपूर्ण है।
​डिटॉक्सिफिकैशन मुद्रा करने का तरीकाएक शांतिपूर्ण जगह खोजें जहां आप आरम कर सकते हैं। अब एक सहजता के साथ जमीनी स्थिति में लेट जाओ, बैठो या खड़े हो जाओ। आप इसे लेटकर, बैठकर या फिर खड़े होकर भी कर सकते हैं। अपनी जांघों पर हथेलियां को रखें और ध्यान रहे कि हथेलियां आसमान की ओर हों न कि जमीन की तरफ नीचे। आंख बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान लगाएं। अब अपने अंगूठे को मध्यमा और अनामिका से मिलाएं। हाथ ही तर्जनी और छोटी उंगली को इस दौरान सीधा रखें। ऐसा दोनों हाथों से करें। धीमी, गहरी सांस लें और सुनिश्चित करें कि किसी भी शोर को सुनकर आप अपना ध्यान न तोड़ें। इस मुद्रा को रोज 30-45 मिनट एक बार जरूर करें। अगर आप एक साथ वक्त नहीं निकाल पाते तो दिन में 10-15 मिनट के लिए भी तीन बार इसका अभ्यास किया जा सकता है। इस मुद्रा को किसी भी समय जगह पर किया जा सकता है। लेकिन सुबह करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

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