अनुकम्पा नियुक्ति फर्जीकाण्ड में आया नया मोड़

बिलासपुर. पिछले कुछ दिनों से बिलासपुर में हुई श्वेता सिंह की नियुक्ति को लेकर जो बवाल खड़ा हुआ है और नियुक्ति को फर्जी बताया जा रहा है उसमें श्वेता सिंह के खिलाफ हुए षड्यंत्र की साफ जलक अब दिखाई देने लगी है। श्वेता सिंह को नियमों के तहत अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त होने तक तो सब ठीक था पर असली खेल नियुक्ति के बाद चालू हुआ।

शिकायतकर्ता और विभाग के  कर्मचारियों की मिलीभगत
श्वेता सिंह प्रकरण में शिकायतकर्ता ने RTI लगाकर अनुकम्पा नियुक्ति संबंधी दस्तावेज मांगे और विभाग द्वारा शिकायतकर्ता को आधे अधूरे दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए। श्वेता सिंह जब 7 जनवरी 2019 को अनुकम्पा हेतु आवेदन की थी उस समय उन्होंने शपथ पत्र और सहमति पत्र आवेदन के साथ जमा किये थे जिनके आधार पर सूरजपुर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा श्वेता सिंह को अनुकम्पा हेतु पात्र घोषित किया गया था, पर जब नियुक्ति देने का समय आया तो बिलासपुर डीईओ कार्यालय द्वारा पुनः शपथ पत्र और सहमति पत्र को मौखिक आदेश देकर मांगा गया जिसे बनवाकर जमा कर दिया गया।

इस तरह श्वेता सिंह से 2 बार शपथ पत्र और सहमति पत्र लिया गया। जब RTI के तहत शिकायतकर्ता को जानकारी देनी थी उस समय कार्यालय द्वारा 2021 में बने शपथ पत्र और सहमति पत्र की छायाप्रति शिकायतकर्ता को दी। और शिकायतकर्ता ने फर्जीवाड़ा नामक रायता ये बोलकर फैला दिया की स्व. मनमोहन सिंह की मृत्यु के 2 साल बाद आवेदन किया गया।  सिर्फ RTI में दी गयी अधूरी जानकारी के कारण इतना बड़ा बवाल खड़ा हो गया है और नियुक्ति को फर्जी साबित करने की कोशिश की जा रही है। शिकायतकर्ता को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की हर  गोपनीय बात पता है और निपटाने का ये खेल कहाँ जाकर रुकेगा ये देखने वाली बात होगी।
शिकायतकर्ता और दाशरथी में संबंध
शिकायतकर्ता और बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सहायक संचालक पी. दाशरथी में पुरानी अनबन है, सुत्रों की माने तो दाशरथी को निपटाने के चक्कर में शिकायतकर्ता ने ये चक्रव्यूह रचा है क्योंकि श्वेता सिंह की नियुक्ति दाशरथी ने की है और अगर नियुक्ति फर्जी साबित होकर निरस्त होती है तो फर्जी नियुक्ति करने के मामले में दाशरथी पर गाज गिरना भी तय ही माना जा रहा है ।जब से इस प्रकरण ने तूल पकड़ा है विभाग की छवि धूमिल होने के अलावा श्वेता सिंह और उनके परिवार की प्रतिष्ठा को ठेश पहुंच रही है इसके अलावा जिला शिक्षा कार्यालय के एक विवादित बाबू को DEO कार्यालय से हटा दिया गया है अब आगे और क्या क्या होगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

जाँच कमेटी के होनहार अधिकारियों की करतूत
जानकारी मिली है कि कुछ दिन पहले श्वेता सिंह नियुक्ति प्रकरण की जाँच करने वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी के पास प्रस्तुत कर दी है। जाँच कमेटी में 1 अध्यक्ष के अलावा 2 सदस्य है जिनमें अध्यक्ष तखतपुर विकासखंड शिक्षा अधिकारी आर. के.अंचल एवं सदस्य के रूप में राघवेंद्र गौराहा, प्राचार्य शा.बहु.उ.मा. शाला बिलासपुर तथा श्रीमती मृदुला त्रिपाठी,प्राचार्या शा.उ.मा. शाला,तिफरा, बिलासपुर है। जांच कमेटी ने श्वेता सिंह को 10 अगस्त 2021 को जांच कमेटी के समक्ष शा.बहु.उ.मा. शाला,बिलासपुर में दोपहर 1 बजे  प्रस्तुत होने के लिए मौखिक आदेश श्वेता सिंह के स्कूल की प्राचार्या के माध्यम से दिलवाया। श्वेता सिंह को बिना शिकायत पत्र  दिए सिर्फ 1 बार मौखिक आदेश के बल पर अपनी जांच प्रक्रिया पूर्ण कर जाँच कमेटी ने किसके दबाव में ऐसा निर्णय लिया ये जांच का विषय है।

श्वेता सिंह ने की शिकायत अनुकम्पा नियुक्ति के पूरे मामले में प्रताड़ित होने वाली श्वेता सिंह ने आखिरकार परेशान होकर अपनी चुप्पी तोड़ी और जांच के दौरान जो उनके साथ जांच कमेटी के सदस्य राघवेंद्र गौराहा एवं मृदुला त्रिपाठी के द्वारा जो बुरा बर्ताव किया गया एवं डराया धमकाया गया है कि शिकायत श्वेता सिंह ने बिलासपुर रेंज के IG और जिले के पुलिस अधीक्षक से कर दी है,  श्वेता सिंह ने अपनी शिकायत से तखतपुर BEO आर के अंचल को बाहर रखा है एवं उनका व्यवहार जांच के दौरान अच्छा था ये भी कहा है। अब ये मामला और कितना आगे बढ़ेगा तथा विभाग की और कितनी किरकिरी होगी ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

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