November 26, 2024

कल्पवृक्ष के रहस्य को जानने वाला वेदों का ज्ञाता बन जाता है – ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदी

परमात्मा मनुष्य सृष्टि रूपी कल्पवृक्ष के बीज रूप है अर्थात सभी मनुष्य आत्माओं  के एकमात्र पिता है
परमात्मा के यथार्थ परिचय के बिना ज्ञान की पूर्णता सम्भव नहीं
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे चल रहे श्रीमद्भगवद्गीता के पंद्रहवे अध्याय सर्वोच्च दिव्य स्वरूप योग के पहले श्लोक मे कल्पवृक्ष का वर्णन है। इसकी जड़ ऊर्धव मूल है अर्थात् परमात्मा रूपी बीज ऊपर है। सतयुग व त्रेतायुग में केवल एक मुख्य तना अर्थात् आदि सनातन देवी देवता धर्म ही था, द्वापर युग से अनेक धर्मों का आना शुरू हुआ कलयुग का अंत आते आते अनेक धर्म, समाज, मठ-मंडल  की स्थापना हो गई। जब का जब अंत का समय आता है तब परमात्मा स्वयं आकर सभी धर्मों का विनाश कर एक सत्य धर्म आदि सनातन देवी देवता धर्म की पुनः स्थापना करते हैं।
ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कहा कि परमात्मा द्वारा दिये ज्ञान के आधार पर सृष्टि चक्र(एक कल्प) पांच हजार वर्ष का है। लौकिक ज्ञान के साथ परमात्मा का यथार्थ परिचय भी आवश्यक है। उन्नीसवे श्लोक मे परमात्मा कहते है संशय रहित होकर मेरे यथार्थ रूप को जिसने जान लिया वे ही पूर्ण ज्ञान से युक्त है और अपने प्रयासों से परिपूर्ण बन जाता है…
आज की ज्ञान मुरली मे परमात्मा अलौकिक मुसाफिर बनकर आये है और विश्व कल्याण की जिम्मेदारी निभाने विश्व कल्याणकारी भव का वरदान देते है। इसके लिए हमे अहंकार से मुक्त होना पडेगा । दीदी ने कहा
*गुरुर मे इन्सान को कभी इन्सान नही दिखता*
*छत पर चढ जाओ तो अपना ही घर नही दिखता*
*नसीहत वो सच्ची बात है जिसे हम कभी गौर से नही सुनते*
*और तारीफ वो धोखा है जिसे हम पूरे ध्यान से सुनते है।*

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post विनोबा नगर में निकाली जाएगी हाथ से हाथ जोड़ों यात्रा
Next post झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ की बैठक संपन्न
error: Content is protected !!