PM मोदी के इन 4 ‘मास्टरस्ट्रोक’ से चित हुआ चीन, भारत का दम देख डगमगाए उसके कदम


नई दिल्ली. चीन (China) के पीछे हटते कदम भारत के उस चौतरफा दबाव का नतीजा है जो भारत ने उसपर बनाया है. चाहे वो चीन को उसी की भाषा में जवाब देना हो या फिर ट्रंप से बातचीत कर चीन को हराने का प्लान तैयार करना हो, पीएम मोदी के निर्णायक कदमों की वजह से ही आज चीन के तेवर नर्म पड़े हैं.

मोदी की महाप्लानिंग से जिनपिंग फेल!
चीन दो दिन पहले तक चीन LAC पर युद्धाभ्यास करने में लगा था. खुद चीन की सरकारी मीडिया ने वो तस्वीरें जारी की थी जिसमें रात के अंधेरे में चीनी सेना युद्ध की तैयारियों में लगी थी. लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ जिससे चीन को सेना को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा. चीन के इस कदम के पीछे पीएम मोदी की वो रणनीति है जो एक बार फिर सुपरहिट साबित हुई है. भारत ने चीन को चारों तरफ से ऐसा घेरा कि उसे घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा.

मोदी का ‘मास्टरस्ट्रोक’ नंबर 1 : ट्रंप से बातचीत में उठाया मुद्दा
अमेरिका (America) चीन का दुश्मन नंबर 1 है और चीन को हर तरफ से घेरने में लगा है. चीन कभी नहीं चाहता कि अमेरिका, भारत और चीन के विवाद के बीच आए और इसका फायदा उठाने की कोशिश करे. पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बीच बातचीत में उठा सीमा विवाद का मुद्दा चीन को कतई मंजूर नहीं था.
ट्रंप ने पहले भी मध्यस्थता की बात जब की थी. जब चीन ने ठुकरा दी थी और अब भी जब चीन से मोदी और ट्रंप की बातचीत पर पूछा गया तो उसने साफ संदेश दे दिया कि उसे अमेरिका का दखल मंजूर नहीं. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीमा पर अब स्थिति नियंत्रण में है. चीन और भारत के पास ऐसी समस्या को सुलझाने के लिए प्रयाप्त तंत्र हैं. हम इसे बातचीत से हल कर सकते हैं. किसी तीसरे की आवश्यक्ता नहीं है.’

मोदी का ‘मास्टरस्ट्रोक’ नंबर 2 : चीन को उसी की भाषा में जवाब
चीन लद्दाख में LAC के पास लगातार सैन्य ताकत बढ़ा रहा था और एलएसी पर जैसे ही चीनी सैनिकों के जमावड़े की खबर सामने आई. भारत की तरफ से तुरंत कार्रवाई की गई और 5 हजार सैनिकों की तैनाती के साथ साथा साजोसामान पहुंचाए जाने लगा. भारत सरकार ने साफ कर दिया कि अगर मामला कूटनीति और बातचीत से नहीं सुलझा तो दूसरे विकल्प भी तैयार हैं. इस तरह के बयान और आक्रामकता देख चीन को पता लग गया कि भारत झुकने वाला नहीं.

मोदी का ‘मास्टरस्ट्रोक’ नंबर 3 : अपने फैसलों पर अडिग भारत
चीन लद्दाख में लगातार आगे बढ़ने की फिराक में था और भारत लगातार उसका डटकर सामना कर रहा था. चीन को उम्मीद थी कि भारत दबाव में आकर अपना LAC पर निर्माण कार्य रोक लेगा. लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि ना तो कोई काम रुकेगा और ना ही किसी तरह के दबाव में झुकेगा.. भारत के इस आक्रामक रवैये की चीन को उम्मीद नहीं थी. चीन को जब लगने लगा कि अब मामला हाथ से निकल सकता है तो उसकी तरफ से अलग अलग बयान आने लगे जिसमें सुलह की बात ज्यादा थी. .

मोदी का ‘मास्टरस्ट्रोक’ नंबर 4 : लीड फ्रॉम द फ्रंट की मिसाल की पेश
चीन के साथ जैसे तनाव बढ़ने लगा वैसे पीएम मोदी खुद आगे आए और शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ मीटिंग कर हालात को जाना. जिससे चीन को कड़ा संदेश मिला. इतना ही नहीं, विवाद सुलझाने के लिए पीएम ने अपनी उसी डोकलाम टीम को लगाया जिसने डोकलाम के वक्त विवाद को हल किया था. पीएम मोदी के यही कदम चीन पर भारी पड़े और चारों तरफ दबाव में घिरने के बाद अब चीन की चाल में थोड़ा सुधार आया है और वो पीछे हटने को मजबूर हुआ.

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