November 23, 2024

Pregnant Woman को नौकरी से निकाला था, अब देना होगा 66 लाख रुपये का Compensation

File Photo

लंदन. गर्भवती महिला (Pregnant Woman) ने मॉर्निंग सिकनेस की वजह से दो हफ्ते की छुट्टी की तो कंपनी ने उसे नौकरी से निकाल दिया. इस सदमे की वजह से महिला का गर्भपात हो गया. अब एक लेबर ट्राइब्यूनल ने कंपनी को दोषी मानते हुए महिला को 65 हजार पाउंड यानी 66 लाख 57 हजार रुपये का मुआवजा (Compensation) देने का आदेश दिया है.

प्रेग्नेंसी की वजह से शुरू हुई मॉर्निंग सिकनेस

द सन की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन की रहने वाली Maya Geogiev ने जुलाई 2018 में मैनचेस्टर में Personal Insolvency Company में काम करना शुरू किया था. उसी वर्ष 29 अगस्त को उसे मॉर्निंग सिकनेस की वजह से उसे पता चला कि वह गर्भवती है. इसके बाद उसने ऑफिस जाना छोड़कर वर्क फ्रॉम होम शुरू कर दिया.

कंपनी ने महिला को नौकरी से निकाल दिया

Maya Geogiev को जब अपने गर्भवती होने का पता चला, उस दौरान वह कंपनी में प्रोबेशन पीरियड पर थीं. उन्होंने अपने दो सहकर्मियों को अपनी स्थिति के बारे में बताया और कहा कि वह इस बारे में किसी को न बताएं. Geogiev ने कहा कि उन्हें डर है कि ऐसा करने पर कंपनी उन्हें नौकरी से निकाल सकती है. बाद में महिला ने एचआर की प्रमुख सुजैन ग्रीव्स को अपनी स्थिति के बारे में बता दिया.

अपने प्रोबेशन पीरियड के आखिरी दिन 8 अक्टूबर को Maya Geogiev काम पर लौटी. उसी दौरान कंपनी के कंसल्टिंग मैनेजिंग डायरेक्टर डैनियल मॉरिस ने उन्हें मीटिंग के लिए बुलाया. वहां पर मॉरिस ने उनसे काम पर न आने का कारण पूछा. Maya ने उसे बताया कि वह गर्भवती हैं, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया कि वे एक बीमार कर्मचारी को पैसे नहीं दे सकते.

सदमे की वजह से महिला को दूसरी बार हुआ गर्भपात 

Maya Geogiev ने कंपनी को एक पत्र लिखकर इस बर्खास्तगी को वापस लेने की अपील की. पत्र में माया ने कहा कि प्रोबेशन पीरियड में उनकी परफार्मेंस पर कोई बात नहीं की गई. उन्हें केवल इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया क्योंकि वह प्रेग्नेंट हैं. लेकिन कंपनी ने उनकी अपील नहीं मानी, जिससे माया गहरे मानसिक तनाव में चली गईं. इसके चलते दिसंबर 2018 में उन्हें दूसरी बार गर्भपात हो गया.

ट्राइब्यूनल ने दिया मुआवजा देने का आदेश

Maya ने इसके बाद हिम्मत बटोरकर यूके डेट सर्विसेज के साथ नई नौकरी शुरू की. साथ ही अपने खिलाफ हुए अन्याय के खिलाफ लेबर ट्राइब्यूनल में केस दायर किया. जस्टिस हिलेरी स्लेटर की अध्यक्षता वाले ट्राइब्यूनल ने पूरा केस सुनने के बाद इस मामले में हनोवर इन्सॉल्वेंसी के खिलाफ आदेश जारी किया है. ट्राइब्यूनल ने कहा है कि आय को हुए नुकसान और भावनाओं को चोट पहुंचाने के लिए कंपनी को Maya Geogiev को 65 हजार पाउंड यानी 66 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा.

 

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