दुर्गा नगर लिंगियाडीह में 113 मकानों को तोड़ने की कार्यवाही के विरोध में उभरा जनाक्रोश “आवास सुरक्षा हमारा अधिकार, उजाड़ना नहीं होगा स्वीकार”
पट्टा प्रक्रिया पूरी,प्रीमियम राशि जमा फिर भी निगम की तुड़ाई की कार्रवाई पर सवाल : प्रभावितों ने कहा “हम आखिरी सांस तक अपने घर बचाएंगे”
बिलासपुर :- दुर्गा नगर–लिंगियाडीह क्षेत्र में नगर निगम द्वारा 113 मकानों को ध्वस्त करने की प्रस्तावित कार्रवाई के विरोध में स्थानीय निवासियों में जबरदस्त रोष देखने को मिल रहा है। दशकों से बसे गरीब एवं निम्न आय वर्ग के परिवारों ने सामूहिक रूप से ज्ञापन सौंपते हुए प्रशासनिक निर्णय को अमानवीय और एकतरफा बताते हुए इसे तुरंत रोकने की मांग की है।
निवासियों ने बताया कि वे इस क्षेत्र में लगभग 50 वर्षों से निरंतर निवास कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से छप्पर से मकान,और कच्चे से पक्के घर तक का सफर तय किया। यहां उनकी पहचान,रोज़गार,परिवार,बच्चों की पढ़ाई और सामाजिक जीवन जुड़ा हुआ है। ऐसे में अचानक उजाड़ने की कार्रवाई उनके अस्तित्व पर सीधा संकट है।
भूमि पूर्व से ही आबादी भूमि घोषित — पट्टा भी स्वीकृत
निवासियों ने जानकारी दी कि लगभग 2.46 एकड़ भूमि को पूर्व मुख्यमंत्री स्व.अर्जुन सिंह के समय आबादी भूमि घोषित किया गया था इसके बाद वर्ष 2019 में शासन स्तर पर दुर्गा नगर–लिंगियाडीह क्षेत्र में पात्र निवासियों को पट्टा प्रदान करने का निर्णय लिया गया। अतिरिक्त तहसीलदार द्वारा सर्वे कर पात्रों की सूची तैयार की गई,और नगर निगम ने 10 रुपये प्रति वर्गफुट प्रीमियम राशि भी वसूल कर ली अर्थात पट्टा प्रक्रिया विधिक रूप से पूर्ण है। निवासियों ने सवाल उठाया—“जब सरकार ने पट्टा दे दिया,प्रीमियम ले लिया,तो अब हमारे घरों को अवैध कैसे बताया जा रहा है?”
लगातार बदलते परियोजनाओं के नाम पर भ्रम और दबाव
निवासियों ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से निगम प्रशासन द्वारा विभिन्न नामों पर नोटिस और सर्वे की कार्रवाइयाँ की जा रही हैं—पहले सड़क चौड़ीकरण,फिर नाले पर सड़क निर्माण,और अब कॉम्प्लेक्स व गार्डन का नया प्रस्ताव।
इन लगातार बदलते प्रस्तावों ने क्षेत्र के निवासियों में अविश्वास,डर और असुरक्षा का वातावरण पैदा कर दिया है। लोगों का कहना है कि यदि वास्तव में सार्वजनिक आवश्यकता होती तो पहले से तोड़े गए 150 मकान वाली सड़क का काम आज तक अधूरा क्यों है?
पहले भी उजाड़े गए लोग,पर वादे आज तक अधूरे
करीब चार माह पूर्व,सड़क चौड़ीकरण के नाम पर 150 से अधिक मकान और दुकानों को तोड़ा गया था। उस समय निगम अधिकारियों ने कहा था कि “नया विकास कार्य जल्द प्रारंभ होगा”, लेकिन आज तक एक ईंट भी नहीं रखी गई। निवासियों ने कहा—“एक बार उजाड़कर अधूरा छोड़ दिया,अब फिर उजाड़ने आ रहे हैं। यह सीधे-सीधे जीवन और आजीविका पर प्रहार है।”
भूमि मास्टर प्लान में आवासीय दर्ज
नागरिकों ने बताया कि मास्टर प्लान के अनुसार यह भूमि आवासीय उपयोग के लिए दर्ज है। ऐसे में स्थायी निवासियों को हटाकर पार्क,कॉम्प्लेक्स या किसी अन्य निर्माण की योजना कानूनी और सामाजिक दृष्टि से असंगत है।
प्रभावित परिवारों की प्रमुख माँगें
क्रमांक मांग
1 113 मकानों पर प्रस्तावित ध्वस्तीकरण की कार्रवाई तत्काल प्रभाव से रोकी जाए।
2 पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय और निष्पक्ष जांच कराई जाए।
3 प्रीमियम राशि जमा करने वाले पात्र परिवारों को विधिवत पट्टा एवं आवास सुरक्षा अधिकार पत्र प्रदान किए जाएं।
4 गरीब परिवारों के जीवन,सम्मान और सुरक्षित निवास को सुनिश्चित करते हुए किसी भी प्रकार की तुड़ाई कार्रवाई से पूर्व जनसुनवाई अनिवार्य की जाए।
निवासियों ने कहा—“हम कोई अवैध कब्जाधारी नहीं, हम इसी धरती के नागरिक और इस नगर के करदाता हैं। यह संघर्ष ज़मीन का नहीं, जीवन और सम्मान का है। हम न्याय और सम्वेदनशील समाधान की अपेक्षा करते हैं।” कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के इस अवसर पर उपस्थित कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव,मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया,प्रदेश प्रवक्ता अभयनारायन राय,पार्षद दिलीप पाटिल,लक्ष्मीनाथ साहू,रामा बघेल सहित बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।


